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News Hindi : तेलंगाना में बीसी वर्गों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व लगातार कमजोर – कृष्णैया

Ajay Kumar Shukla
Ajay Kumar Shukla
News Hindi : तेलंगाना में बीसी वर्गों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व लगातार कमजोर – कृष्णैया

हैदराबाद । ‘42% आरक्षण लागू करना राज्य सरकार (State Government) की जिम्मेदारी’ प्रदर्शन का नेतृत्व आर. कृष्णैया ने किया । इंदिरा पार्क (Indira Park) धरना चौक में आयोजित ‘बीसी आरक्षण न्याय साधना दीक्षा’ में राज्यभर के विभिन्न पिछड़ा वर्ग संगठनों की बड़ी संख्या में भागीदारी रही।

60 से अधिक बीसी समुदाय संगठनों ने हिस्सा लिया

कार्यक्रम का नेतृत्व राष्ट्रीय बीसी संघ के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद आर . कृष्णैया ने किया। छात्र, युवा, महिला, कर्मचारी और विधिक संगठनों सहित 60 से अधिक बीसी समुदाय संगठनों ने इसमें हिस्सा लिया। सभा को संबोधित करते हुए आर . कृष्णैया ने कहा कि तेलंगाना में बीसी वर्गों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व लगातार कमजोर बना हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार सटीक और व्यापक जनसांख्यिकीय आँकड़े न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे, तो 42% बीसी आरक्षण कानूनी रूप से पूरी तरह संभव है। उनका कहना था कि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों प्रमाणिक आँकड़ों के आधार पर आरक्षण वृद्धि पर विचार कर सकते हैं।

सरकार वैधानिक प्रक्रियाओं और वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ डेटा प्रस्तुत करें : राव

दीक्षा की अध्यक्षता कर रहे पूर्व बीसी आयोग अध्यक्ष डॉ. वकुलाभरणं कृष्णमोहन राव ने कहा कि सरकार वैधानिक प्रक्रियाओं और वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ डेटा प्रस्तुत करे तो बीसी वर्गों के लिए केवल 42% ही नहीं, बल्कि 52% तक आरक्षण भी संवैधानिक ढांचे के भीतर उचित ठहराया जा सकता है। हरियाणा के पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि जब सरकार आरक्षण वृद्धि की घोषणा करती है, तो उसका पूर्ण और समयबद्ध अनुपालन सुनिश्चित करना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है। बीआरएस के एमएलसी एल. रामना ने मांग की कि आगामी चुनाव घोषित आरक्षण अनुपात के तहत ही कराए जाने चाहिए। दीक्षा के दौरान इंदिरा पार्क परिसर 42% आरक्षण की मांग से गूंजता रहा।

वैधानिक प्रतिनिधित्व दिलाना राज्य सरकार की तात्कालिक जिम्मेदारी

राज्य के विभिन्न हिस्सों से पहुँचे हजारों बीसी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति से धरना स्थल दिनभर सक्रिय रहा। नेताओं ने कहा कि शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में बीसी समुदाय का समान और अनुपातिक अधिकार राजनीतिक वादा नहीं, बल्कि संवैधानिक कर्तव्य है। दीक्षा से उभरा मुख्य संदेश साफ था, बीसी वर्गों को अनुपातिक और वैधानिक प्रतिनिधित्व दिलाना राज्य सरकार की तात्कालिक जिम्मेदारी है।

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