नयी दिल्ली, 14 सितम्बर 2025. केंद्र सरकार के दबाव में चुनाव आयोग ने एसआइआर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को ही चैलेंज नहीं किया है बल्कि देश को संवैधानिक विघटन की तरफ ढकेलने की कोशिश की है. यह भ्रष्ट चुनाव आयोग के माध्यम से देश पर तानाशाही थोपने की कोशिश है. जिसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा.
ये बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 212 वीं कड़ी में कहीं.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट संविधान का अभिरक्षक है. इसलिए चुनाव आयोग या कोई भी संस्था यह नहीं कह सकती कि सुप्रीम कोर्ट उसके काम की समीक्षा या निगरानी नहीं कर सकता. उसके सामने यह भी विकल्प नहीं है कि वो कोर्ट से ये कहे सके कि वो उसे निर्देशित नहीं कर सकता कि उसे कब और क्या करना चाहिए. इसलिए चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में दिया गया यह हलफनामा कि सुप्रीम कोर्ट उससे इलेक्टोरल रोल या एसआइआर कराने के समय पर सवाल नहीं कर सकता, सीधे-सीधे संविधान को चुनौती है. इसलिए यह राजद्रोह के दायरे में आता है जिसके आधार पर ज्ञानेश कुमार को न सिर्फ़ बर्खास्त कर देना चाहिए बल्कि गिरफ्तार कर जेल भी भेज देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आज अगर चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार कर रहा है तो कल पुलिस, सीबीआई और ईडी भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानने से यह कहकर इनकार कर सकते हैं कि यह उसके कार्यक्षेत्र में है कि वो किसे गिरफ्तार करे और किसके घर छापा मारे. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की इतनी गंभीर धमकी के बावजूद मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की चुप्पी भी संदेह पैदा करती है कि कहीं वो ख़ुद भी तो संवैधानिक विघटन के षड्यंत्र के हिस्सेदार नहीं हैं?
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अब इसमें कोई दो राय नहीं रह गया है कि मोदी सरकार ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से सीजेआई को बाहर करने और चुनाव आयुक्त के खिलाफ़ किसी भी कोर्ट में मुकदमा चलाये जाने से दिए गए छूट का मकसद देश पर अपनी तानाशाही थोपना था. इन दोनों बुनियादों पर ही आज मोदी सरकार चुनाव आयोग के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दे रही है. उन्होंने कहा कि देश की जनता अपने लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. भाजपा और आरएसएस के किसी भी षड्यंत्र को सफल नहीं होने दिया जाएगा.