National : नौसेना के बेड़े में आया पहला स्वदेशी पनडुब्बी-रोधी युद्धपोत

By Anuj Kumar | Updated: June 19, 2025 • 9:41 AM

विशाखापत्तनम. देश का पहला एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (युद्धपोत) ‘आइएनएस अर्नाला’ विशाखापत्तनम डॉकयार्ड पर नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया। तटीय रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए ऐसे 16 स्वदेशी युद्धपोतों को नौसेना में शामिल करने का फैसला हुआ था। इस श्रृंखला का पहला युद्धपोत ‘आइएनएस अर्नाला’ 8 मई को सौंपा गया था। बुधवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की मौजूदगी में इसकी आधिकारिक कमीशनिंग की गई।

यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारतीय समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में अहम कदम है। इन युद्धपोतों का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। नए पोत पुरानी हो रही अभय-क्लास कॉर्वेट्स की जगह लेंगे। करीब 80 फीसदी स्वदेशी सामग्री से निर्मित ये पोत भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और घरेलू रक्षा उद्योग की मजबूती का प्रतीक हैं। नौसेना के मुताबिक परियोजना की सफलता साबित करती है कि भारत अब जटिल युद्धपोतों के डिजाइन, निर्माण और तकनीकी एकीकरण में पूर्ण रूप से सक्षम है।

दुश्मन की पनडुब्बियों को करेगा तबाह

नौसेना के मुताबिक इन युद्धपोतों का मकसद तटीय और उथले समुद्री क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों की पहचान करना, उन्हें ट्रैक करना और नष्ट करना है। पोत आधुनिक पनडुब्बी रोधी सेंसरों से लैस हैं। इनमें अंडरवॉटर अकॉस्टिक कम्युनिकेशन सिस्टम के अलावा लाइटवेट टॉरपीडो, रॉकेट, एंटी-टॉरपीडो डिकॉय और माइन बिछाने जैसे अत्याधुनिक हथियार लगे हैं।

गश्त, निगरानी और मदद में सक्षम

नौसेना के मुताबिक इन पोतों की तैनाती से भारत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता और तटीय रक्षा तंत्र को नई धार मिलेगी। युद्धपोत भारत के विस्तृत समुद्री तट और महत्त्वपूर्ण अपतटीय परिसंपत्तियों की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। उथले जल में संचालन करने की क्षमता के कारण पोत गश्त, निगरानी, और मानवीय सहायता जैसे कार्यों में भी सक्षम हैं।

Read more : Raja Case : सोनम समेत पांचों आरोपियों की शिलांग कोर्ट में पेशी आज

# national #Ap News in Hindi #Breaking News in Hindi #Google News in Hindi #Hindi News Paper bakthi delhi latestnews trendingnews