National : बूटा मलिक नाम के मुसलमान ने खोजी थी पवित्र अमरनाथ गुफा

By Anuj Kumar | Updated: June 5, 2025 • 10:49 AM

नई दिल्ली । श्री अमरनाथ आदिदेव भगवान शंकर की पवित्र उपाधि है। धरती का स्वर्ग कह लाने वाले कश्मीर में स्थित प्राकृतिक भव्य एवं चमत्कारिक गुफा में प्रत्येक वर्ष हिमशिवलिंग के दर्शन करने से सुखद अनुभव होता है। भारत के तीर्थ स्थानों में श्री अमरनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इस पवित्र गुफा के दर्शन हेतु यात्रा जुलाई में शुरु होकर अगस्त में रक्षाबंधन तक चलती है। अमरनाथ यात्रा को कुछ लोग मोक्ष प्राप्ति का, तब कुछ स्वर्ग की प्राप्ति का जरिया बताते हैं।

इस पवित्र धाम की यात्रा से 23 तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है

इस पवित्र धाम की यात्रा से 23 तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। गुफा के एक छोर में प्राकृतिक रूप से बना हिम शिवलिंग पक्की बर्फ का होता है जबकि गुफा के बाहर मीलों तक कच्ची बर्फ ही देखने को मिलती है। गुफा में पक्की बर्फ से गणेश पीठ तथा पार्वती पीठ भी बनती हैं। भारत भूमि का कण-कण तीर्थ है। कश्मीर को तीर्थों का घर कहा जाता है। कश्मीर में 49 शिवधाम, 60 विष्णुधाम, 3 ब्रह्माधाम, 22 शक्तिधाम, 700 नागधाम हैं। अमरनाथ में स्थित पार्वती पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। काशी में लिंग दर्शन एवं पूजन से दस गुणा फल देने वाला श्री अमरनाथ का पूजन है। एक दंत कथानुसार रक्षाबंधन की पूर्णिमा के दिन जो सामान्यतः: अगस्त में पड़ती है भगवान शंकर स्वयं श्री अमरनाथ गुफा में पधारते हैं।

अमरनाथ गुफा में भगवान शंकर ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी

रक्षा बंधन के दिन ही पवित्र छड़ी मुबारक गुफा में बने हिमशिवलिंग के पास स्थापित की जाती है। अमरनाथ यात्रा का प्रचलन ईसा से भी एक हजार वर्ष पूर्व का है। अमरनाथ गुफा में भगवान शंकर ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। मां पार्वती ने अमरत्व प्राप्त करने के लिए भगवान शंकर से अमर कथा सुनाने का हठ किया था। प्राचीन कथानुसार पावन गुफा की खोज बूटा मलिक नाम के मुसलमान गडरिए ने की थी। एक दिन वह भेड़ें चराते दूर निकल गया जहां उसकी एक साधु से भेंट हुई।

हिमनिर्मित शिवलिंग कभी पूर्णतया लुप्त नहीं होता

साधु ने बूटा मलिक को एक कोयले से भरी कांगड़ी दी। घर जाकर जब मलिक ने देखा तब उस कागड़ी में सोना था जिसे देखकर वह हैरान हो गया। उस साधु का धन्यवाद करने वह वापस उस स्थान पर गया परंतु साधु मिला नहीं। तब वहां एक विशाल गुफा देखी। उसी दिन से यह गुफा एक तीर्थ स्थान बन गई। माता पार्वती ने अमरकथा इसी गुफा में सुनी थी। सत्य है कि हिमनिर्मित शिवलिंग कभी पूर्णतया लुप्त नहीं होता। आकार छोटा या बड़ा हो सकता है।

कहा जाता है कि भगवान शिव इस गुफा में पहले-पहल श्रावण की पूर्णिमा को आए थे इसलिए इस दिन अमरनाथ की यात्रा का विशेष महत्व माना जाता है। रक्षा बंधन का सर्वाधिक महत्व होने से लोग इसी माह में यात्रा करते हैं। पहलगाम की तरफ से इस यात्रा पर जाने से मार्ग में चंदनवाड़ी, शेषनाग झील, पंचतरणी के दर्शन होते हैं।

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