National : वे स्वदेशी परियोजनाएं जिनकी देरी से नाराज हुए वायुसेना प्रमुख

By Anuj Kumar | Updated: June 1, 2025 • 4:51 PM

नई दिल्ली ।भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने रक्षा खरीद परियोजनाओं में देरी पर गहरी नाराजगी और चिंता जाहिर की है। एयर चीफ मार्शल सिंह का इशारा विशेष रूप से स्वदेशी परियोजनाओं की ओर था। उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में एक भी प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हुआ है। आइए जानते हैं इन प्रोजेक्ट्स की मौजूदा स्थिति और देरी के कारण…

तेजस एमके-1ए

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ फरवरी 2021 में 83 एलसीए एमके-1ए विमानों के लिए 48,000 करोड़ रुपये का समझौता हुआ था। ये 4.5 जेनरेशन के हल्के लड़ाकू विमान हैं, जो भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन शक्ति बढ़ाने के लिए जरुरी हैं। मुख्य रूप से जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) से एफ404 इंजनों की आपूर्ति में देरी के कारण इसका उत्पादन डिले हुआ है। विनिर्माण कंपनी एचएएल ने तकनीकी और सप्लाई चेन की समस्याओं का भी हवाला दिया है। समझौते के अनुसार पहला विमान मार्च 2024 तक डिलीवर होना था, लेकिन अभी तक एक भी विमान नहीं मिला है। एचएएल ने आश्वासन दिया है कि तकनीकी समस्याएं सुलझाई गई हैं और जल्द ही डिलीवरी शुरू होगी। फिलहाल अभी तक करीब 14 महीने से अधिक की देरी हो चुकी है। इसकी वजह से भारतीय वायु सेना की स्क्वाड्रन संख्या में कमी के बीच यह देरी हवाई युद्ध क्षमता पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।

तेजस एमके-2 तेजस एमके-2

एलसीए एमके-1ए का ए़डवांस एडीशन है। इस अधिक शक्तिशाली जीई एफ 414 इंजन और बेहतर एवियोनिक्स के साथ डिजाइन किया गया है। इसका प्रोटोटाइप अभी तक तैयार नहीं हुआ है, जो डिजाइन और विकास में देरी का मुख्य कारण है। प्रोजेक्ट अभी प्रारंभिक डिजाइन और विकास चरण में है। प्रोटोटाइप का निर्माण शुरू नहीं हुआ है और उत्पादन शुरू होने में कई साल लग सकते हैं। इसके लिए कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं दी गई थी। लेकिन एयर चीफ मार्शल ने इसकी धीमी प्रगति पर निराशा जाहिर की है।

एएमसीए स्टील्थ फाइटर जेट

एएमसीए पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है। इस मोदी सरकार की‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत तैयार किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट भारत की एडवांस हवाई युद्ध क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है। प्रोटोटाइप का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हुआ है। डिजाइन, तकनीकी विकास, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग (जैसे इंजन आपूर्ति) में देरी प्रमुख कारण हैं। हाल ही में केंद्र ने एएमसीए के विकास के लिए योजना को मंजूरी दी है, लेकिन प्रोटोटाइप और उत्पादन अभी दूर की बात है। समयसीमा स्पष्ट नहीं है, लेकिन प्रोजेक्ट अपनी शुरुआती योजना से काफी पीछे है। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि देरी के कारण वायु सेना की स्क्वाड्रन शक्ति 42 से घटकर करीब 30 तक पहुंच गई है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, खासकर जब पड़ोसी देश जैसे चीन अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहे हैं।

वायुसेना प्रमुख सिंह ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सेना और इंडस्ट्री के बीच बेहतर तालमेल और विश्वास की जरूरत है। लेकिन देरी इस पहल की विश्वसनीयता को प्रभावित कर रही है। वहीं तेजस एमके-1ए की डिलीवरी में हो रही देरी को लेकर रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन हुआ है।

यह समिति उत्पादन में अड़चनों की पहचान करेगी और समाधान बताएगी। वहीं, एचएएल के चेयरमैन डी.के.सुनील ने स्वीकार किया कि देरी हुई है। लेकिन उन्होंने इंडस्ट्री की सुस्ती के बजाय तकनीकी और सप्लाई चेन की समस्याओं का परिणाम बताया। उन्होंने कहा हैं कि सुचारू तौर पर इंजन सप्लाई होने पर डिलीवरी शुरू होगी।

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