अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक बार फिर वैश्विक राजनीति और व्यापार जगत को हिला दिया है। मंगलवार को ट्रंप ने यूरोपीय संघ (EU) से अपील की कि वह भारत और चीन से आने वाले आयात पर 100% टैरिफ लगाए। ट्रंप का तर्क है कि दोनों देश रूस से तेल खरीदकर व्लादिमीर पुतिन को आर्थिक मजबूती दे रहे हैं और इस पर रोक लगाना ज़रूरी है।
रूस पर दबाव की रणनीति
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों ने अब तक कई स्तरों पर प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि भारत और चीन लगातार रूस से तेल आयात कर रहे हैं, जिससे मास्को को बड़ी आर्थिक राहत मिल रही है। ट्रंप का मानना है कि अगर EU और अमेरिका मिलकर भारत-चीन पर व्यापारिक दबाव डालें, तो रूस की कमाई पर सीधा असर पड़ेगा। यही वजह है कि उन्होंने EU से कहा है कि यदि वे 100% टैरिफ लगाते हैं तो अमेरिका भी उसी कदम को अपनाएगा।
पहले से बढ़े हुए टैरिफ
ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेरिका पहले ही भारत और चीन पर कई उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ लगा चुका है। भारत पर 50% और चीन पर 30% तक टैरिफ बढ़ाए गए हैं। लेकिन अब ट्रंप इसको अगले स्तर पर ले जाकर सीधी व्यापारिक चोट पहुंचाना चाहते हैं।
EU का सतर्क रुख
यूरोपीय संघ अब तक टैरिफ की बजाय प्रतिबंधों पर ज्यादा ध्यान देता रहा है। EU का मानना है कि ऊंचे टैरिफ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) और व्यापार को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में ट्रंप की यह मांग ब्रुसेल्स के लिए मुश्किल फैसला बन सकती है।
भारत-अमेरिका रिश्तों में संतुलन
दिलचस्प बात यह है कि जहां एक ओर ट्रंप भारत पर 100% टैरिफ लगाने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जल्द ही व्यापार वार्ता करने का संकेत भी दिया है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ व्यापारिक बाधाओं को कम करने पर बातचीत जारी रहेगी। इससे साफ है कि ट्रंप एक ओर दबाव बनाना चाहते हैं, तो दूसरी ओर रिश्तों को पूरी तरह बिगाड़ने के भी पक्षधर नहीं हैं।
संभावित असर
अगर अमेरिका और EU वास्तव में 100% टैरिफ लगाते हैं, तो भारतीय और चीनी निर्यातकों के लिए स्थिति बेहद कठिन हो जाएगी। खासकर टेक्सटाइल, फार्मा, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर पर सीधा असर पड़ेगा। वहीं, यह कदम वैश्विक तेल बाज़ार और महंगाई को भी प्रभावित कर सकता है।
ट्रंप का यह प्रस्ताव अभी शुरुआती स्तर पर है, लेकिन इससे साफ है कि आने वाले महीनों में व्यापार युद्ध और भी तेज़ हो सकता है। दुनिया अब EU के फैसले का इंतजार कर रही है, जो इस पूरे समीकरण को बदल सकता है।
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