वाशिंगटन डीसी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और रूस के खिलाफ तीखा हमला बोला है, दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को “मृत” (डीएडी) करार देते हुए। ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ डुबो सकते हैं।” यह बयान भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल व हथियार खरीद के लिए अतिरिक्त दंड की घोषणा के बाद आया है। ट्रम्प ने भारत पर दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाने और अमेरिका-भारत व्यापार को सीमित करने का आरोप लगाया।

ट्रम्प ने पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव को भी निशाना बनाया, जिन्होंने हाल ही में ट्रम्प की रूस के प्रति “अल्टीमेटम गेम” की आलोचना की थी। मेदवेदेव ने चेतावनी दी थी कि ट्रम्प का यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूस को 10-12 दिन का अल्टीमेटम युद्ध की ओर एक कदम है। ट्रम्प ने जवाब में मेदवेदेव को “नाकाम पूर्व राष्ट्रपति” कहकर चेतावनी दी कि वे “खतरनाक क्षेत्र” में प्रवेश कर रहे हैं।
भारत ने ट्रम्प के बयानों पर सधी प्रतिक्रिया दी। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि वह टैरिफ के प्रभावों का अध्ययन कर रहा है और एक “निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी” व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध है। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ता जारी है, जिसमें 25 अगस्त को नई दिल्ली में अगला दौर होगा। भारत ने रूस से तेल आयात को 2022 के बाद से 35-40% तक बढ़ाया है, जो ट्रम्प की नाराजगी का कारण बना।
ट्रम्प की यह रणनीति अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव को दर्शाती है। भारत की अर्थव्यवस्था, जो विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी है, को “मृत” कहना न केवल गलत है, बल्कि भारत के रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी को कमतर आंकने का प्रयास भी है। यह टिप्पणी ट्रम्प की व्यापार नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत को रूस से दूरी बनाने और अमेरिकी हितों के अनुरूप नीतियां अपनाने के लिए दबाव डालना है।
भारत सरकार ने इस आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा, जैसा कि उसने हाल ही में यूके के साथ व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते में किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले भी पश्चिमी देशों के दोहरे मापदंडों की आलोचना की है, यह कहते हुए कि “यूरोप की समस्याएं विश्व की समस्याएं नहीं हैं, लेकिन विश्व की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं होनी चाहिए।
ट्रम्प का यह बयान वैश्विक व्यापार युद्ध के बीच आया है, जहां वह कई देशों पर टैरिफ बढ़ा रहे हैं। भारत, जो रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है, ने अपनी ऊर्जा और रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भरता बढ़ाई है। ट्रम्प ने भारत के उच्च टैरिफ और गैर-टैरिफ व्यापार बाधाओं को भी निशाना बनाया, जिसे वे अमेरिकी व्यापार के लिए हानिकारक मानते हैं।
भारत और अमेरिका के बीच 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 186 अरब डॉलर था, जिसमें भारत का व्यापार अधिशेष 44.4 अरब डॉलर था। ट्रम्प के टैरिफ से भारतीय निर्यात, विशेष रूप से दवाएं, दूरसंचार उपकरण, और वस्त्र प्रभावित हो सकते हैं। भारत ने डेयरी और कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में टैरिफ रियायतों का विरोध किया है, जबकि अमेरिका इलेक्ट्रिक वाहनों, औद्योगिक सामान और डेयरी जैसे क्षेत्रों में रियायतें चाहता है।
ट्रम्प का यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को जटिल बना सकता है, जो पहले से ही नाजुक स्थिति में है। भारत ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है कि वह अपने किसानों, उद्यमियों और एमएसएमई के हितों की रक्षा करेगा।
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