Symbolic Funeral: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी आक्रमणों में निर्दोष भारतीय पर्यटकों की निर्मम हत्या ने देश को झकझोर दिया है। इसके बाद भारतीय सेना द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” (Operation sindoor) में मिली सफलता ने जहां गर्व पैदा किया, वहीं तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने पर देशभर में क्रोध फैल गया।
वाराणसी में एकजुट विरोध, शव यात्रा में सभी धर्म शामिल
वाराणसी के लमही प्रदेश में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और तुर्की व पाकिस्तान की प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाली। इस विरोध प्रदर्शन में हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों ने हिस्सा लिया और देश के विरुद्ध खड़े देशों के विरुद्ध आवाज़ बुलंद की।
प्रदर्शन के दौरान नारे:
- “पाकिस्तान मुर्दाबाद”
- “तुर्की मुर्दाबाद”
- “भारत माता की जय”
- “हिंदुस्तान जिंदाबाद”
BHU प्रोफेसर ने बताया विरोध का मकसद
Symbolic Funeral: बीएचयू के प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने प्रदर्शन की अगुवाई करते हुए कहा कि –
“तुर्की, जो पाकिस्तान जैसे आतंक समर्थक देश का साथ दे रहा है, उसे भारत की ओर से कोई समर्थन नहीं मिलना चाहिए। हम तुर्की को मुर्दा मानते हैं, इसीलिए आज उसकी शव यात्रा निकाली गई।

तुर्की का आर्थिक बहिष्कार करने की अपील तेज़
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि भारत हर साल तुर्की को 3000 करोड़ प्यासों का पर्यटन लाभ देता है। अब जब तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया है, तो यह पैसा देशद्रोही देश को क्यों दिया जाए?
ट्रैवल एजेंसियों और सोशल मीडिया पर बॉयकॉट ट्रेंड:
- ट्रैवल संगठन तुर्की और अजरबैजान के टूर पैकेज रोक रही हैं।
- सोशल मीडिया पर #Boycott Turkey और #Boycott Azerbaijan ट्रेंड कर रहे हैं।
- कारोबारीयों ने तुर्की उत्पादों का बहिष्कार आरंभ किया।
जनता ने दिया एकजुट संदेश: “भारत के लिए पहले राष्ट्रहित”
शव यात्रा में शामिल एक स्थानीय मुस्लिम युवा ने कहा,
“देश के दुश्मनों के साथ कोई सहानुभूति नहीं। हिन्दुस्थान में इतने पर्यटन स्थल हैं, हमें तुर्की की आवश्यकता नहीं।”