शादी की खुशियाँ मातम में बदलीं
उत्तर प्रदेश के जौनपुर (Jaunpur) जिले में उस वक्त मातम पसर गया जब एक ही परिवार के दो सगे भाइयों की निर्मम हत्या कर दी गई। जिस घर में शादी की तैयारियाँ चल रही थीं, वहाँ अचानक चीख-पुकार और मातम का माहौल बन गया।
जौनपुर: Jaunpur जिले के मुंगराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के गांव रामनगर में शनिवार की देर रात दो सगे भाइयों की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इस डबल मर्डर (Double Murder) से पूरे इलाके में सनसनी मच गई है। परिवार में अगले महीने ही शादी होने वाली थी, जिसे लेकर तैयारी चल रही थी। अब शादी की खुशियां मातम में बदल गई हैं और चीख पुकार सुनाई दे रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार शाहजहां और जहांगीर, दोनों भाई मुंगरा बादशाह पुर के मझगवा चंदौकी गांव के निवासी थे और दोनों अपनी बहनसलमा के यहां शादी का कार्ड देकर बाइक से घर लौट रहे थे।
दोनों की मौत मौके पर ही हो गई
शनिवार की देर रात नौ बजे जैसे ही वे मुंगराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के रामनगर के पास पहुंचे, तभी पहले से ही घात लगाए बाइक सवार बदमाशों ने उन पर पीछे से ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं। बाइक जहांगीर चला रहे थे और दोनों की मौत मौके पर ही हो गई। दोनों का शव जब गांव में पहुंचा तो चारों तरफ सन्नाटा पसर गया। परिजनों का गम फूट पड़ा और वे अपने आप को काबू नहीं कर सके। मातम में डूबे परिवार के लोग दहाड़ मारकर चीखने-चिल्लाने लगे, उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनकी करुण चीखें सुनकर आसपास के लोगों का कलेजा कांप उठा।
25 अक्टूबर को उनके पुत्र सुबहानी की शादी थी
जहांगीर परिवार सहित मुंबई में रहते थे और 25 अक्टूबर को उनके पुत्र सुबहानी की शादी थी, कार्ड लेकर वह शुक्रवार को ही गांव आए हुए थे। शादी की खुशियां मातम में बदल गईं। सगे भाइयों के शव शाम को गांव के कब्रिस्तान में नम आंखों से सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया। इस दौरान परिजनों और ग्रामीणों की आंखें नम थीं। हर किसी के चेहरे पर मातम और दर्द साफ झलक रहा था। सुपुर्द ए खा़क के दौरान मछली शहर सी ओ प्रतिमा वर्मा, थाना प्रभारी केके सिंह व थाना सुजानगंज, मछली शहर, पवांरा व मीरगंज सहित काफी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहे।
इतिहास क्या है जौनपुर का?
जौनपुर Jaunpur का इतिहास 1359 में फ़िरोज़ शाह तुगलक द्वारा अपने चचेरे भाई मोहम्मद बिन तुगलक (जौना खान) की याद में स्थापित किए जाने से शुरू होता है. शहर को दिल्ली सल्तनत के सरकी वंश ने संभाला, जिसने 1394 से 1505 तक एक स्वतंत्र राज्य के रूप में शासन किया और जौनपुर को “भारत का सिराज” बनाया. इस काल में शिक्षा और संस्कृति का विकास हुआ, और कई विद्वान व कवि जौनपुर में आकर बसे।
जौनपुर का असली नाम क्या है?
कुछ पुराने नाम ‘यवनपुर’ और ‘जमदग्निपुरम’ माने जाते हैं, जहाँ ‘यवनपुर’ को कन्नौज के शासकों ने नाम दिया था और ‘जमदग्निपुरम’ का संबंध एक प्राचीन ऋषि से है, जबकि जौनपुर का वर्तमान नाम फिरोजशाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई जौना खां (मुहम्मद बिन तुगलक) की याद में रखा था।
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