हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में युवाओं को सोशल मीडिया पर रील्स देखने की आदत से दूर रहने की नसीहत दी है।
हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में युवाओं को सोशल मीडिया पर रील्स देखने की आदत से दूर रहने की नसीहत दी है। 15 जुलाई 2025 को हैदराबाद में एक कार्यक्रम के दौरान ओवैसी ने कहा, “मैं युवाओं से अपील करता हूँ कि वे अपना कीमती समय रील्स देखने में बर्बाद न करें।
रील्स देखने से दिमाग खराब होता है और समय बेकार जाता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि रील्स देखने से नौजवान नेता, डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक नहीं बन सकते। इसके बजाय, उन्होंने युवाओं से अखबार पढ़ने और शिक्षा पर ध्यान देने की सलाह दी।
ओवैसी ने बिहार में चुनावी रोल्स के संशोधन को लेकर चल रहे विवाद का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “अगर बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) आपके पास आए और आप रील्स में खोए रहें, तो आप उनके सवालों का जवाब कैसे देंगे?”
उन्होंने दावा किया कि इस प्रक्रिया में कई लोगों को बांग्लादेशी, नेपाली या म्यांमार से आए बताया जा रहा है, जो चिंता का विषय है। ओवैसी का मानना है कि शिक्षा और जागरूकता ही युवाओं को बेहतर भविष्य दे सकती है, न कि सोशल मीडिया की लत।
उन्होंने युवाओं से अपने भविष्य के लिए मेहनत करने और देश की प्रगति में योगदान देने की बात कही। ओवैसी का यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है, जहां कुछ लोग उनकी सलाह का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे पारंपरिक सोच मान रहे हैं। यह नसीहत उड़ीसा के छात्रा आत्मदाह मामले जैसे गंभीर मुद्दों के बीच आई है, जहां शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत और भी बढ़ गई है।
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असदुद्दीन ओवैसी के पास कितनी डिग्रियां हैं?
असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद के निजाम कॉलेज (उस्मानिया विश्वविद्यालय) से कला में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
आईएमआईएम का इतिहास क्या है?
1958 में, पाकिस्तान जाने से पहले, रज़वी ने अब्दुल वाहिद ओवैसी को अपना उत्तराधिकारी नामित किया। अब्दुल वाहिद ओवैसी, एक वकील ने पार्टी को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन में संगठित किया। उनके नेतृत्व में, एआईएमआईएम स्वतंत्रता की कठोर नीति से व्यावहारिक दिशा में स्थानांतरित हो गई।