बहराइच, 2 जून 2025: उत्तर प्रदेश के बहराइच में सैयद सलार मसूद गाजी की दरगाह पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी द्वारा चादर चढ़ाए जाने की घटना ने एक बार फिर सियासी विवाद को जन्म दे दिया है।
इस घटना के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बहराइच में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, यह विवाद 11वीं सदी के राजा सुहेलदेव और सलार मसूद गाजी के बीच बहराइच में हुए ऐतिहासिक युद्ध की पृष्ठभूमि में और गहरा गया है।
दरगाह पर चादर चढ़ाने से उपजा विवाद
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के अनुसार, जमाल सिद्दीकी ने रविवार को बहराइच में सलार मसूद गाजी की दरगाह पर चादर चढ़ाई। यह दरगाह स्थानीय समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां हर साल मई में ‘उर्स’ मेले का आयोजन होता है।
सिद्दीकी ने इस अवसर पर कहा, “भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर चलती है। चादर चढ़ाना सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने का एक कदम है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी पार्टी अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और यह कदम उसी दिशा में एक प्रयास है।
श्री राम का वंशन होने पर गर्व है
भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दिकी ने कहा कि वह हमेशा से ही यह कहते आ रहे हैं कि वह प्रभु श्री राम के वंशज हैं और उन्हें इस बात पर गर्व है। यूपी प्रशासन ने कुछ समय पहले ही मसूद गाजी के नाम पर लगने वाले बहराइच मेले के आयोजन के अनुमति नहीं दी थी।
हालांकि, इस कदम ने राजनैतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कीं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा नेताओं ने पहले भी सलार मसूद गाजी को एक आक्रांता करार दिया है, जिसे 1034 ईस्वी में राजा सुहेलदेव ने बहराइच के चित्तौरा झील के पास युद्ध में हराया था। इस ऐतिहासिक संदर्भ के चलते, सिद्दीकी का यह कदम कई लोगों के लिए अप्रत्याशित और विवादास्पद रहा।
ओपी राजभर की प्रेस कॉन्फ्रेंस
सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने बहराइच में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “राजा सुहेलदेव ने सलार मसूद गाजी को हराकर बहराइच और हिंदू संस्कृति की रक्षा की थी। उनकी शहादत को गर्व के साथ याद किया जाता है।
भाजपा का जवाब और आलोचना
उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “सलार मसूद गाजी एक विदेशी आक्रांता था, जिसने भारत में मंदिरों को लूटा और हजारों लोगों की हत्या की। उसे सम्मान देना राजा सुहेलदेव की वीरता का अपमान है।” उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार राजा सुहेलदेव की स्मृति को सम्मान देने के लिए बहराइच में एक भव्य स्मारक और मूर्ति स्थापित कर रही है, जिसकी आधारशिला 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, सलार मसूद गाजी, जो गजनवी साम्राज्य के शासक महमूद गजनवी का भतीजा था, ने 1031 ईस्वी में भारत पर आक्रमण किया था। 1034 ईस्वी में बहराइच के चित्तौरा झील के पास हुए युद्ध में राजा सुहेलदेव ने गाजी को हराया और उसकी मृत्यु हो गई। इस युद्ध को हिंदू समुदाय में राजा सुहेलदेव की वीरता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
दूसरी ओर, सलार मसूद गाजी को ‘गाजी मियां’ के रूप में कुछ समुदायों द्वारा एक सूफी संत के रूप में पूजा जाता है, और उनकी दरगाह पर हर साल हजारों लोग उर्स मेले में शिरकत करते हैं, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल होते हैं।
यह विवाद 2021 में तब की एक समान घटना की याद दिलाता है, जब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सलार मसूद गाजी की दरगाह पर चादर चढ़ाई थी। उस समय भी भाजपा ने इसे राजा सुहेलदेव का अपमान बताकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश की थी।
विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनैतिक दलों के बीच वोटबैंक की जंग को और तेज कर सकती है। राजभर समुदाय, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में 18% मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है.