काठमांडू, 11 सितंबर 2025 — नेपाल (Nepal) की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश और पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकीं सुशीला कार्की (sushila Karki) अब अंतरिम सरकार की मुखिया बनने जा रही हैं। जन-आंदोलन और राजनीतिक अस्थिरता के बीच उनकी नियुक्ति को ऐतिहासिक माना जा रहा है। सवाल यह है कि उनके नेतृत्व में भारत और नेपाल के रिश्ते किस तरह आगे बढ़ेंगे।
सुशीला कार्की की पृष्ठभूमि
सुशीला कार्की न्यायपालिका में अपने कठोर और निष्पक्ष फैसलों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए। उनका शैक्षणिक जुड़ाव भी भारत से है — उन्होंने वाराणसी स्थित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से राजनीति शास्त्र में पढ़ाई की है। यही कारण है कि भारत को उनके नेतृत्व से रिश्तों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है।
भारत-नेपाल रिश्तों की मौजूदा स्थिति
भारत और नेपाल के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर गहरे रहे हैं। खुली सीमा, साझा संस्कृति, धार्मिक धरोहर और आपसी व्यापार इन रिश्तों की नींव रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में सीमा विवाद, जल संसाधन के मुद्दे और राजनीतिक तनाव ने दोनों देशों के बीच अविश्वास भी पैदा किया। हालिया प्रदर्शनों और सरकार गिरने के बाद यह सवाल और अहम हो गया है कि आगे का रास्ता कैसा होगा।
कार्की के नेतृत्व में संभावित दिशा
- जन-स्तर पर जुड़ाव: कार्की ने स्पष्ट किया है कि नेपाल और भारत के लोगों के बीच गहरा अपनापन है, जिसे वह बनाए रखना चाहेंगी।
- सरकारी संवाद: उनका मानना है कि अंतरराष्ट्रीय मामलों पर दोनों सरकारें बातचीत और सहमति से नीति बना सकती हैं। इससे संकेत मिलता है कि संवाद और सहयोग को प्राथमिकता मिलेगी।
- सुरक्षा और स्थिरता: हालिया हिंसा में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा का आश्वासन देकर उन्होंने यह संकेत दिया कि दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ाने की कोशिश होगी।
- आर्थिक सहयोग: नेपाल की ऊर्जा, व्यापार और आधारभूत संरचना परियोजनाओं में भारत की अहम भूमिका है। कार्की संभवतः इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाएंगी, लेकिन साथ ही नेपाल की संप्रभुता पर भी जोर देंगी।
चुनौतियाँ
नेपाल की नई पीढ़ी आत्मनिर्भरता और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन चाहती है। ऐसे में कार्की भारत पर अत्यधिक निर्भरता से बचने की कोशिश कर सकती हैं। सीमा विवाद और जल बंटवारे जैसे मुद्दे भविष्य में दोनों देशों के बीच तनाव का कारण भी बन सकते हैं।
सुशीला कार्की का नेतृत्व भारत-नेपाल रिश्तों को नई संतुलित दिशा दे सकता है। जहाँ सांस्कृतिक और सामाजिक नज़दीकी बनी रहेगी, वहीं नेपाल अपनी संप्रभुता और स्वतंत्र नीति को लेकर सजग रहेगा। भारत के लिए यह मौका है कि वह नेपाल के नए नेतृत्व के साथ साझेदारी, विश्वास और सम्मान पर आधारित रिश्तों को आगे बढ़ाए।
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