पुणे (महाराष्ट्र)। राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता दीपर मानकर ने केंद्र सरकार से दरख्वास्त लगाई है कि आधार कार्ड में ब्लड ग्रुप को भी शामिल किया जाए। उनका कहना है कि सभी नागरिकों के ब्लड ग्रुप से जुड़ी जानकारी उनके आधार कार्ड में जरूर होनी चाहिए।
दीपक मानकर ने प्रधानमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर यह मांग उठाई है। उनके अनुसार सरकार का यह फैसला खासकर इमरजेंसी के समय कई लोगों की जान बचा सकता है।
क्या है वजह?
अब सवाल यह है कि दीपक मानकर(Deepak Mankar) ने आखिर यह मांग क्यों की? इसके लिए उन्होंने अहमदाबाद प्लेन क्रैश और ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण दिया है। दीपक मानकर का कहना है कि इन दोनों मौकों पर बड़ी संख्या में लोगों का खून बहा था। लोगों की जान बचाने के लिए हमें तुरंत खून की जरूरत पड़ी। इसके लिए पूरे भारत में ब्लड डोनेशन कैंप लगाए गए थे।
दीपक मानकर ने क्या कहा?
दीपक मानकर ने आगे कहा कि सड़क हादसों समेत कई आपदाओं में लोगों की जान पर बन आती है। ऐसे में मेडिकल हिस्ट्री और ब्लड टाइप न पता होने के कारण उनके इलाज में देरी हो जाती है। अगर मरीज का ब्लड टाइप पता हो, तो डॉक्टर बिना देरी के ट्रीटमेंट शुरू कर देंगे और लोगों की जान बचाई जा सकेगी।
पीएम मोदी से की सिफारिश
दीपक मानकर ने प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री (Health Minister) से गुजारिश करते हुए कहा, “आज आधार हर जगह जरूरी हो गया है। इसमें ब्लड ग्रुप शामिल करना डॉक्टरों, अस्पतालों और देश के सभी नागरिकों के लिए मददगार होगा।”
आधार कार्ड के संस्थापक कौन है?
23 जून को, तत्कालीन यूपीए सरकार ने इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया। उन्हें यूआईडीएआई के अध्यक्ष का नव-निर्मित पद दिया गया, जो कैबिनेट मंत्री के समकक्ष था। अप्रैल 2010 में, नीलेकणि ने आधार का लोगो और ब्रांड नाम लॉन्च किया।
आधार कार्ड का इतिहास क्या है?
तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 2009 के केंद्रीय बजट में इस पहल का प्रस्ताव रखकर इस परियोजना की नींव रखी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर आधार परियोजना की शुरुआत की, और पहला आधार कार्ड 2010 में जारी किया गया ।
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