Allahabad High Court: उत्तर प्रदेश में बढ़ते फर्जी शादी पंजीकरण के मामलों पर इलाहाबाद (Allahabad) हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए प्रदेश सरकार को शादी पंजीकरण नियम, 2017 में संशोधन करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश जस्टिस विनोद दिवाकर की एकल पीठ ने 124 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया, जो अधिकतर घर से भागे जोड़ों द्वारा दाखिल की गई थीं।
छह महीने में लागू हों नए नियम
कोर्ट ने साफ कहा है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार को विवाह पंजीकरण की प्रणाली को पुख्ता और सत्यापन योग्य बनाना होगा, जिससे फर्जीवाड़े पर रोक लग सके। संशोधन की यह प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरी की जानी चाहिए।
क्या होंगे नए प्रावधान?
कोर्ट के आदेशानुसार निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
- दूल्हा-दुल्हन का आधार प्रमाणन और बायोमेट्रिक डेटा अनिवार्य होगा।
- दोनों पक्षों और दो गवाहों के फोटो अनिवार्य रूप से प्रविष्ट किए जाएंगे।
- आयु सत्यापन डिजिलॉकर, पासपोर्ट, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे आधिकारिक स्रोतों से किया जाएगा।
- विवाह कराने वाले पंडित की उपस्थिति भी रजिस्ट्रार ऑफिस में आवश्यक होगी।

फर्जी प्रमाणपत्रों से हाई कोर्ट तक हो रहा दुरुपयोग
Allahabad High Court: कोर्ट ने अपने 44 पन्नों के विस्तृत आदेश में कहा कि कई याचिकाओं में यह पाया गया कि नकली शादी प्रमाणपत्र केवल कोर्ट से सुरक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से बनवाए गए। कई मामलों में न तो गवाह वास्तविक पाए गए, और न ही कोई शादी हुआ था।
परिजनों की मौजूदगी पर मिल सकती है छूट
यदि विवाह पंजीकरण के वक्त लड़का-लड़की के परिजन मौजूद रहते हैं, तो पंजीयन अधिकारी अपने विवेक से दस्तावेजों की कुछ शर्तों में आंशिक या पूर्ण छूट दे सकता है।
कोर्ट का उद्देश्य – वास्तविक प्रेमियों को मिले न्याय
कोर्ट ने यह भी स्वीकार किया कि कुछ याचिकाओं में वास्तविक प्रेमी युगल समिलित हैं, जिन्हें कानूनी सुरक्षा की आवश्यकता है। ऐसे मामलों को न्याय मिलना चाहिए, लेकिन नकली दस्तावेज़ों के माध्यम से कोर्ट की व्यवस्था का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।