Ashtavinayak Temples जानें महाराष्ट्र के आठ गणपति तीर्थ क्या है अष्टविनायक यात्रा का महत्व?
Ashtavinayak Temples वह आठ प्रमुख गणपति मंदिर हैं जो महाराष्ट्र में स्थित हैं।
इन मंदिरों की यात्रा एक ही यात्रा में करने से जीवन में सुख-शांति और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
यह यात्रा खास तौर पर पुणे जिले और उसके आसपास के क्षेत्रों में फैली हुई है।
कौन-कौन से हैं ये आठ मंदिर?
अष्टविनायक मंदिर में ये आठ गणेश मंदिर शामिल हैं:
- मोरेश्वर (मायूरेश्वर), मोरगांव
- सिद्धिविनायक, सिद्धटेक
- बल्लाळेश्वर, पाली
- वर्घणेश्वर, महड़
- चिंतामणि, थेउर
- गिरिजात्मज, लेंयाड्री
- विघ्नेश्वर, ओझर
- महागणपति, रांजणगांव
इनमें से कुछ मंदिर गुफाओं में स्थित हैं और कुछ का प्राचीन इतिहास है जो पुराणों से जुड़ा है।

यात्रा का अनुक्रम क्या होता है?
Ashtavinayak Temples यात्रा एक विशेष क्रम में की जाती है:
- मोरगांव
- सिद्धटेक
- पाली
- महड़
- थेउर
- लेंयाड्री
- ओझर
- रांजणगांव
- अंत में पुनः मोरगांव लौटकर यात्रा पूर्ण होती है
अष्टविनायक यात्रा के लाभ
- जीवन में आने वाली संकटों से मुक्ति
- मनोकामना पूर्ति
- पारिवारिक सुख और समृद्धि
- आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतुलन

कौन करते हैं यह यात्रा?
- यह यात्रा श्रद्धालु, भक्त, और आध्यात्मिक साधक करते हैं
- नवविवाहित जोड़े भी इस यात्रा को आशीर्वाद स्वरूप अपनाते हैं
- विदेशों से भी भक्त इसे करने आते हैं
कब करें यह यात्रा?
- सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है
- गणेश चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी के समय यात्रा का विशेष महत्व है
Ashtavinayak Temples की यात्रा एक गहन धार्मिक और आत्मिक अनुभव है।
यह न सिर्फ भगवान गणेश के दर्शन कराती है, बल्कि एक संस्कृतिक व आध्यात्मिक यात्रा भी बन जाती है।
अगर आप जीवन में शांति, सफलता और शक्ति की कामना करते हैं तो एक बार अष्टविनायक यात्रा अवश्य करें।