– मोदी सरकार ने इस “रोजगार-लिंक्ड इंसेंटिव” योजना को 1 ट्रिलियन रुपये ( 1.07 लाख करोड़) की मंजूरी दी है, जिसका लक्ष्य अगले दो वर्षों (अगस्त 2025–जुलाई 2027) में लगभग 35 मिलियन नए रोजगार सृजन करना है।
– इसका मकसद MSME, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा जैसे सेक्टरों में रोजगार बढ़ाना है।
मोदी (Modi) सरकार की (ELI) स्कीम को लेकर सराफ फर्नीचर के संस्थापक और सीईओ रघुनंदन सराफ ने कहा, “इस योजना का मकसद वास्तव में उन कर्मचारियों को अधिक अवसर प्रदान करना है जो जॉब पाने या रोजगार पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इसलिए यह वर्तमान रोजगार बाजार को भी बढ़ावा देने वाला है.”
भारत सरकार ने रोजगार से जुड़ी नई स्कीम की शुरुआत की है. इसे रोजगार के क्षेत्र में काफी अहम माना जा रहा है. भारतीय उद्योग जगत के लोगों ने भी दबावपूर्ण रोजगार निर्माण की चुनौती से निपटने के लिए साहसिक और समय पर इम्पलायमेंट लिंक्ड इंसेटिव (ELI) योजना को सरकार की ओर से मंजूरी दिए जाने सराहना की है।
बिजनेस से जुड़े दिग्गजों और नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना रोजगार के पूरे परिदृश्य को ही बदल देगी, क्योंकि यह वर्कफोर्स को औपचारिक बनाने, पहली बार नौकरी चाहने वालों को सशक्त बनाने तथा नियोक्ताओं (Employers) के लिए भर्ती लागत को कम करने पर केंद्रित है, खासतौर से लेबर इंसेटिव और कैपिटल कन्स्ट्रैंड सेक्टर में. कई लोगों ने इसके संभावित प्रभाव की तुलना प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव (पीएलआई) योजना से की है, इसे युवा रोजगार, क्षेत्रीय विकास और एमएसएमई की वृद्धि के लिए “गेम-चेंजर” कहा है।
युवाओं को मौके के दरवाजे खोलेगीः CII के DG बनर्जी
इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कल मंगलवार को बहुप्रतीक्षित इम्पलायमेंट लिंक्ड इंसेटिव (ईएलआई) योजना को मंजूरी दे दी, जिसका मकसद 1.07 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा करना और औपचारिक रोजगार को बढ़ावा देना है. इस स्कीम से कपड़ा, पर्यटन, विनिर्माण और निर्माण जैसे लेबर से जुड़े क्षेत्रों को फायदा होगा।
कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्री (CII) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने इस फैसले पर कहा “ईएलआई रोजगार को बढ़ावा देने और देश के वर्कफोर्स को औपचारिक बनाने की दिशा में यह एक अहम कदम है. ईएलआई योजना पहली बार नौकरी की चाह रखने वालों के लिए मौके के दरवाजे खोलती है, इस वजह से वे देश के विकास की कहानी में अपना सार्थक योगदान दे सकते हैं. यह नियोक्ताओं को अपने वर्कफोर्स का विस्तार करने और लेबर से जुड़े क्षेत्रों को निर्णायक बढ़ावा देने का अधिकार देती है.” करीब 99,446 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ, ईएलआई 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों के सृजन का समर्थन करेगी।
रोजगार सृजन के क्षेत्र में मिलेगा प्रोत्साहनः पूर्व सचिव
इस फैसले पर श्रम और रोजगार मंत्रालय की पूर्व सचिव सुमिता डावरा ने कहा कि यह योजना उद्योग जगत, ट्रेड यूनियनों, भारत सरकार के 25 से अधिक मंत्रालयों, सभी राज्य सरकारों तथा क्षेत्रीय कार्यशालाओं के साथ लंबी चर्चा और बहस के बाद तैयार की गई है।
उन्होंने आगे कहा, “पीएम मोदी ने पहले साफतौर से कह दिया था कि योजना सरल और प्रभावी होनी चाहिए ताकि योजना का वास्तविक लाभ देश के युवाओं तक पहुंच सके, खासतौर से पहली बार वर्कफोर्स में शामिल होने वाले लोगों तक, और यह रोजगार सृजन के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में भी काम करता है. इस स्कीम से विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector) में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों की उम्मीद है।”
युवाओं को होगा खास फायदाः PHDCCI
आईएमएफए के प्रबंध निदेशक सुभ्रकांत पांडा ने कहा, “यह योजना रोजगार को बढ़ावा देगी, खासकर विनिर्माण क्षेत्र में, एक इनोवेटिव अप्रोच अपनाकर पहली बार वर्कफोर्स में शामिल होने वालों को लगातार रोजगार के लिए प्रोत्साहन के साथ मदद भी करती है. यह लेबर वर्क से जुड़े उद्योगों और एमएसएमई के लिए एक बड़ा बदलाव होगा।”
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के सीईओ और महासचिव डॉ रंजीत मेहता ने कहा कि यह योजना ऐसे समय में आई है जब भारत की युवा आबादी अपने चरम पर है. उन्होंने कहा कि सरकार की यह घोषणा बहुत अहम है, क्योंकि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है. हमारे पास इसका जनसांख्यिकीय लाभांश यानी डेमोग्राफिक डिविडेंट है और इस तरह की योजना होने से निश्चित रूप से हमारी युवा आबादी के लिए काफी रोजगार पैदा होगा. दूसरा, यह उद्योगों को भी प्रोत्साहित करेगा, खासकर एमएसएमई को, जिनके पास हमेशा पूंजी की कमी होती है।”
सराफ फर्नीचर के संस्थापक और सीईओ रघुनंदन सराफ ने कहा, “इस योजना का मकसद वास्तव में उन कर्मचारियों को अधिक अवसर प्रदान करना है जो जॉब पाने या रोजगार पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इसलिए यह वर्तमान रोजगार बाजार को भी बढ़ावा देने वाला है. यह कर्मचारियों को कर्मचारियों के रूप में बनाए रखने में भी मदद करता है. इससे नौकरी छोड़ने की दर भी कम होगी. साथ ही इससे कर्मचारियों की बचत भी बढ़ेगी।”
1 अगस्त 2025 से लागू होगी ये स्कीम
इस योजना के तहत पहली बार नौकरी पर रखे गए कर्मचारियों को एक महीने का वेतन (15,000 रुपये तक) दिया जाएगा. वहीं नियोक्ताओं को अतिरिक्त रोजगार सृजन के लिए 2 साल की अवधि के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा. यही नहीं विनिर्माण क्षेत्र के लिए लाभ को और 2 साल के लिए बढ़ा दिया जाएगा।
ईएलआई स्कीम का मकसद 2 साल की अवधि के दौरान देश में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों के सृजन को प्रोत्साहित करना है. इनमें से 1.92 करोड़ लाभार्थी पहली बार वर्कफोर्स में शामिल होने वाले होंगे. इस स्कीम का लाभ अगले महीने एक अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2027 के बीच सृजित नौकरियों पर लागू होगा.