Budh Vakri: बुध ग्रह 18 जुलाई से कर्क राशि में वक्री गति करेंगे। इसका प्रभाव सभी राशियों पर देखने को मिलेगा। किस के लिए बुध (Budh) का वक्री (Vakri) शुभ रहेगा और किस के लिए चुनौतीपूर्ण, आइए जानते हैं।
मेष राशि
बुध आपके चौथे स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के चौथे स्थान का सम्बन्ध हमारे भवन, भूमि, वाहन तथा माता से है। बुध के इस गोचर से आपको भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। आपको भूमि-भवन और वाहन का लाभ मिलेगा, लेकिन ये सब आपको अपनी मेहनत के बल पर ही हासिल होगा।
इस दौरान आपको अपने कार्यों में धैर्य बनाकर रखने की आवश्यकता है। हालांकि आपको अपनी माता का पूरा सहयोग मिलेगा। आपका स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक बना रहेगा। लिहाजा वक्री बुध के शुभ फल बनाये रखने के लिये- आपको 11 अगस्त तक हरे रंग की चीज़ों को उपयोग में लाने से बचना चाहिए।
वृष राशि
बुध आपके तीसरे स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के तीसरे स्थान का सम्बन्ध हमारे पराक्रम, भाई-बहन तथा यश से है। बुध के इस गोचर से आपको अपने कामों में भाई – बहनों से पूरा सहयोग प्राप्त होगा। उनके साथ आपके रिश्ते बेहतर बने रहेंगे और आपके सारे काम बनेंगे।
आप दूसरों को अपनी बाते समझाने में और अपनी बातों से दूसरों को प्रभावित करने में सफल होंगे। इस दौरान आपको आर्थिक रूप से फायदा मिलेगा। तो वक्री बुध के शुभ फलों को सुनिश्चित करने के लिये- बुधवार के दिन मिट्टी के बर्तन में थोड़ा-सा शहद डालकर घर से दूर कहीं विराने में दबा दें।
मिथुन राशि
बुध आपके दूसरे स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के दूसरे स्थान का सम्बन्ध हमारे धन तथा स्वभाव से है। बुध के इस गोचर से आपको आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा। इस दौरान आपकी बौद्धिक क्षमता ठीक रहेगी। आपको नई चीज़ें सिखने को मिलेंगी। इस दौरान आपके शत्रु भी आपसे दूर ही रहेंगे। लिहाजा वक्री बुध के अशुभ फलों से बचने के लिये- मिट्टी के बर्तन में पानी में भिगे हुए हरे मूंग मन्दिर में दान करने चाहिए।
कर्क राशि
बुध Budh आपके पहले स्थान यानि लग्न स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका में लग्न यानि पहले स्थान का सम्बन्ध हमारे शरीर तथा मुख से है। बुध के इस गोचर से आपको राजा के समान सुख प्राप्त होगा। इस दौरान आपको अपनी संतान के द्वारा किये गये कामों पर भी विशेष ध्यान बनाकर रखना चाहिए।
साथ ही इस बीच विदेश के बजाय अपने देश में रहकर ही काम करना आपके लिये ज्यादा फायदेमंद होगा। अतः वक्री बुध के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये- कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले किसी कन्या का आशीर्वाद जरूर लें और हो सके तो उन्हें कुछ गिफ्ट भी दें।
सिंह राशि
बुध Budh Vakr आपके बारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के बारहवें स्थान का सम्बन्ध आपके व्यय तथा शैय्या सुख से है। बुध Budh Vakr के इस गोचर के प्रभाव से आपको शैय्या सुख पाने के लिये कोशिश करनी होगी। साथ ही आपको अपनी आमदनी भी संभलकर खर्च करनी चाहिए। आजीविका में कुछ उतार-चढ़ाव बन सकते हैं। वक्री बुध के शुभ फल बनाये रखने के लिये- 11 अगस्त तक गाय की सेवा करें।
कन्या राशि
बुध Budh Vakr आपके ग्यारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के ग्यारहवें स्थान का सम्बन्ध हमारे आय तथा इच्छाओं की पूर्ति से होता है। बुध के इस गोचर से आपकी कोई इच्छा बहुत दिनों से पूरी नहीं है, तो वो 11 अगस्त तक पूरी हो जायेगी।आपको अचानक धन लाभ का मौका मिलेगा। आपको हर तरह के सुख – साधनों की प्राप्ति होगी। आपकी संतान को भी इस दौरान पढ़ाई का लाभ मिलेगा। साथ ही वक्री बुध के अशुभ फलों से बचने के लिये- केसर का तिलक अपने मस्तक पर लगाना चाहिए।
तुला राशि
बुध Budh Vakr आपके दसवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के दसवें स्थान का सम्बन्ध हमारे करियर, राज्य तथा पिता से होता है। बुध के इस गोचर से आपको करियर में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।
आपके पिता के करियर की गति भी इस बीच कुछ थम – सी जायेगी। 11 अगस्त तक जीभ का स्वाद आप पर भारी पड़ सकता है। इस दौरान आपको अपनी और अपने पिता की सेहत का ख्याल रखना चाहिए। तो वक्री बुध के अति शुभ फल प्राप्त करने के लिये- 11 अगस्त तक सुबह उठकर फिटकरी से अपने दांत साफ करें।
वृश्चिक राशि-
बुध आपके नवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के नौवें स्थान का सम्बन्ध हमारे भाग्य से होता है। बुध के इस गोचर से आपको अपने भाग्य का साथ मिलेगा।
आप जितनी मेहनत करेंगे, उसका पूरा-पूरा फल आपको मिलेगा। 11 अगस्त तक आपको नई चीज़ों को जानने का, समझने का मौका मिलेगा। इस दौरान आपकी बौद्धिक क्षमता ठीक रहेगी। तो वक्री बुध के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये- अपने पास चांदी की कोई चीज़ रखें।
धनु राशि
बुध आपके आठवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के आठवें स्थान का सम्बन्ध हमारी आयु से है। बुध के इस गोचर से आपकी सेहत अच्छी बनी रहेगी।
आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहेंगे। आप किसी नये विषय पर अच्छे से सोच पायेंगे और अपना काम भी ठीक ढंग से कर पायेंगे। आपको अपनी मेहनत का अच्छा रिजल्ट जल्द ही मिलेगा। लिहाजा वक्री बुध के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये और अशुभ फलों से बचने के लिये आपको- हरे रंग की चीज़ें मन्दिर में दान करनी चाहिए।
मकर राशि
बुध आपके सातवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के सातवें स्थान का सम्बन्ध हमारे जीवनसाथी से है | बुध के इस गोचर के प्रभाव से जीवनसाथी के साथ आपके रिश्तों में कुछ अनबन हो सकती है। आपको अपने रिश्तों को संभालकर रखने की जरूरत है।
साथ ही अपने जीवनसाथी की सेहत का खास ख्याल भी रखना चाहिए। अतः वक्री बुध के अशुभ फलों से बचने के लिये- 11 अगस्त तक आपको अपने गले में एक पीले रंग का धागा पहनना चाहिए।
कुंभ राशि-
बुध आपके छठे स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के छठे स्थान का सम्बन्ध हमारे मित्र, शत्रु तथा स्वास्थ्य से है। बुध Budh Vakrके इस गोचर से आपको मित्रों का भरपूर सहयोग प्राप्त होगा और शत्रु आपके करीब भी नहीं आयेंगे। आप खुले दिल वाले होंगे और आपके मुंह से निकले शब्द दूसरों को हर समय प्रभावित करेंगे।
इस दौरान धैर्य आपकी सारी परेशानियों का हल निकाल देगा। प्रिंटिंग, प्रेस और कागज, कलम से जुड़े लोगों को भी अच्छा फायदा मिलेगा। लिहाजा वक्री बुध के शुभ फल बनाये रखने के लिये- 11 अगस्त तक अपने गले में तांबे का पैसा धारण करें।
मीन राशि
पांचवें स्थान पर गोचर करेंगे। जन्मपत्रिका के पांचवे स्थान का सम्बन्ध हमारे संतान, बुद्धि, विवेक और रोमांस से है। बुध Budh Vakr का यह गोचर आपको विद्या का लाभ दिलायेगा। पढ़ाई-लिखाई में आपका मन लगेगा। गुरु से भी उचित सहयोग प्राप्त होगा।
साथ ही लवमेट के साथ आपके रिश्ते बेहतर रहेंगे। आपको सभी शुभ फल सामान्य रूप से प्राप्त होते रहेंगे। अतः वक्री बुध के अशुभ प्रभावों से बचने के लिये- 11 अगस्त तक आपको मां दुर्गा की उपासना करनी चाहिए।
Budh वक्री होने से क्या होता है?
अपनी दशा एवं अन्तरदशा में जातक की मौलिक चिंतन तथा सृजनात्मक शक्ति को बढ़ाता है। बुध वक्री होने पर अपनी दशा में लेखन कार्यों की ओर रुख करवाता है।
जातक की रचना में अन्तर्विरोध एवं परिवर्तन को अधिक बल मिलता है।कभी कभी अपनी बात को दर्शाने के लिए गलत तर्कों को भी सहमति देता हुआ दिखाई देता है।
Budh वक्री होना आपकी भावनाओं को कैसे प्रभावित करता है?
भावनात्मक संवेदनशीलता और बढ़ी हुई चिंता
मानसिक धुंध के अलावा, बुध का वक्री होना भावनाओं को बढ़ा सकता है, जिससे संवेदनशीलता और चिंता बढ़ सकती है। संचार प्रभावित होने के कारण, व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों में गलतफहमियाँ पैदा हो सकती हैं, जिससे अनावश्यक संघर्ष या भावनात्मक संकट पैदा हो सकता है।