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Kedarnath : उत्तर प्रदेश में हूबहू ‘केदारनाथ’ मंदिर बनाने पर मचा बवाल

Anuj Kumar
Anuj Kumar
Kedarnath : उत्तर प्रदेश में हूबहू ‘केदारनाथ’ मंदिर बनाने पर मचा बवाल

उत्तर प्रदेश के इटावा में केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) की प्रतिकृति बनने से उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहित नाराज हैं। उन्होंने इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया है। मंदिर निर्माण रोकने और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने मंदिर का वीडियो साझा किया था जिसके बाद विवाद बढ़ गया। सरकार ने चारधाम के नाम के दुरुपयोग पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।

रुद्रप्रयाग। उत्तर प्रदेश के इटावा में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाए जाने से उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों में उबाल है। बदरी-केदार धाम के तीर्थ पुरोहितों ने आक्रोश जताते हुए इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ और मंदिरों की अस्मिता व परंपरा पर चोट बताया है। उन्होंने मंदिर के निर्माण पर रोक लगाने और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने श्रावण के पहले सोमवार को इंटरनेट मीडिया (Internet Media) पर इटावा के एक मंदिर का वीडियो साझा किया, जो केदारनाथ जैसा दिखता है। 

वीडियो में मंदिर का नाम ‘केदारेश्वर’ बताया गया है। इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। वीडियो में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पूजा-अर्चना करते दिख रहे हैं। मंदिर परिसर में दुकानें भी सज गई हैं।  सपा नेता के वीडियो प्रसारित करने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। तीर्थ पुरोहितों समेत उत्तराखंड के कई धार्मिक संगठन और स्थानीय निवासी इस निर्माण की आलोचना कर रहे हैं।

वहीं, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने इटावा में केदारनाथ धाम की प्रतिकृति के निर्माण का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि मामले में विधिक राय ली जा रही है। इस पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

तीर्थ पुरोहितों ने जताई कड़ी आपत्ति

केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी का कहना है कि यह न केवल धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है, बल्कि मंदिरों की अस्मिता और परंपरा पर चोट भी है। चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी का कहना है कि यह श्रद्धा का अपमान और नकल है। मंदिर का निर्माण नहीं रुका तो तीर्थ पुरोहित उत्तर प्रदेश जाकर अखिलेश यादव के घर के बाहर धरने पर बैठेंगे। कोटेश्वर धाम के महंत शिवानंद गिरी महाराज ने इसे हिंदू धर्म को कमजोर करने का प्रयास बताया है। तीर्थ पुरोहितों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह दिल्ली में केदारनाथ की तर्ज पर मंदिर निर्माण के प्रस्ताव पर सख्त रुख अपनाया था, वैसा ही ठोस कदम इस बार भी उठाएंगे।

वर्ष 2021 में रखी गई थी आधारशिला

इटावा में सफारी पार्क के सामने बन रहा केदारेश्वर महादेव मंदिर का काम आगामी छह महीने में पूरा होने की संभावना है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव इसे बनवा रहे हैं। 72 फीट ऊंचे मंदिर का मुख्य ढांचा केदारनाथ मंदिर पर आधारित है, लेकिन इसे एक इंच छोटा बनाया गया है। 

आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के इंजीनियरों, वास्तुकारों, शोधकर्ताओं की टीम इसके निर्माण में शामिल है। मंदिर की आधारशिला अखिलेश यादव ने वर्ष 2021 में रखी थी। इसकी अनुमानित लागत 40 से 50 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

दिल्ली में रोका गया था निर्माण

यह पहला अवसर नहीं है, जब केदारनाथ धाम की प्रतिकृति बनाए जाने को लेकर विवाद हुआ हो। गत वर्ष जुलाई में श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट की ओर से दिल्ली में केदारनाथ की तर्ज पर मंदिर निर्माण का प्रस्ताव आया था, जिसका तीर्थ पुरोहितों व धार्मिक संगठनों ने विरोध किया। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के हस्तक्षेप से दिल्ली में मंदिर निर्माण रोका गया।

कैबिनेट में सरकार लाई थी कड़ा प्रस्ताव

दिल्ली विवाद के बाद प्रदेश की धामी सरकार ने 18 जुलाई 2024 को कैबिनेट में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें चारधाम (यमुनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ) के नाम के दुरुपयोग पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया। प्रस्ताव में कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति इन धामों के नाम और स्वरूप का अनुकरण कर मंदिर बनाएगा तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। धर्मस्व विभाग को इस प्रस्ताव को विधिक रूप देने के निर्देश भी दिए गए थे।


केदारनाथ की असली कहानी क्या है?

केदारनाथ मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडवों सभी कौरव भाइयों और अन्य बंधुओं की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थें. जिसके लिए वह भगवान शिव की खोज में हिमालय की ओर गए. पांडवों को अपनी ओर आता देख भगवान शिव अंतर्ध्यान होकर केदार में जा बसे.

केदारनाथ की सच्ची कहानी क्या है?

किंवदंतियों के अनुसार, गौरवों के विरुद्ध महाभारत का युद्ध जीतने के बाद, पांडवों ने युद्ध के दौरान मानव-हत्या के अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लिया। भगवान शिव ने बार-बार उनसे बचकर भागते समय एक साथी के रूप में केदारनाथ में शरण ली।

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