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Sawan : सावन में तुलसी की पत्तियां बैंगनी से हरी हो गईं, क्या है इसका मतलब

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Sawan : सावन में तुलसी की पत्तियां बैंगनी से हरी हो गईं, क्या है इसका मतलब

Tulsi Leaves In Rainy Season: सावन में तुलसी (Tulsi) की पत्तियों का बदलता रंग बताता है कि किस कदर इस पौधे (plants) को देखरेख की जरूरत होती है. गर्मियों में हरी से बैंगनी होने वाली तुलसी की पत्तियां सावन के महीने से वापस हरी होने लगती हैं. जानिए इसके पीछे का साइंस

बैंगनी से हरी हुईं पत्‍त‍ियां….

आमतौर पर गर्मी के दिनों में तुलसी Tulsi की पत्‍त‍ियां बैंगनी होने लगती हैं. लेकिन सावन में बारिश शुरू होते ही इनका रंग वापस बदलता है. ये हरी होने लगती हैं. धूप में रखी तुलसी की पत्‍त‍ियों में यह बदलाव देखा जा सकता है. अब सवाल उठता है कि तुलसी की पत्‍त‍ियों के रंग में बदलाव होने का मतलब क्‍या है? आइए जानते हैं इसक वजह।

क्‍यों बदला रंग…

बैंगनी रंग की तुलसी को श्‍यामा तुलसी Tulsi कहते हैं. तुलसी की पत्‍त‍ियों का रंग बदलने की वजह एक पिगमेंट है. पिगमेंट का नाम है एंथोसायनिन (Anthocyanin). यही पिगमेंट तुलसी की पत्‍त‍ियों को बैंगनी रंग देने का काम करता है.यह पिगमेंट अधिक धूप वाले मौसम के दिनों में ज्‍यादा बनता है. यही वजह है कि तेज धूप वाली गर्मियों के दिनों में तुलसी की हरी पत्‍त‍यां बैंगनी हो जाती हैं।

बैंगनी से हरी क्‍यों…

जब सावन आता है तो बारिश होती है. बारिश के कारण तापमान गिरता है. गर्मी घटती है. मौसम में बदलाव का असर पत्‍त‍ियों को बैंगनी रंग देने वाले पिगमेंट पर भी होता है. नतीजा, यह पिगमेंट घटता है और बैंगनी हो चुकी पत्‍त‍ियां वापस हरी होने लगती हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस मौसम में पौधों को होने वाला तनाव कम हो जाता है।

बैंगनी रंग का मतलब…

भारत में हरी पत्‍त‍ियों वाली तुलसी को रामा कहा जाता है और बैंगनी पत्‍ति‍यों वाली तुलसी को श्‍यामा. वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो पत्‍त‍ियों के बैंगनी होने का मतलब है कि पौधा तेज तापमान से जूझ रहा है और उसे छांव और पानी की जरूरत है।

ये बातें ध्‍यान रखें…

गर्मियों के दिनों में भी तुलसी के पौधे को ऐसी जगह रखें जहां उसे पर्याप्‍त धूप मिल जाए. ऐसी जगह रखने से बचें जहां सीधेतौर पर धूप पड़ती हो. इससे तुलसी के सूखने का खतरा बढ़ता है. समय-समय पर पानी दें और इसका ध्‍यान रखें. बारिश के दिनों में भी इसे ऐसी जगह रखें जहां पर्याप्‍त मिल जाए. अगर गमले में पानी भर गया है तो इसे निकाल दें वरना पौधे के सड़ने का खतरा रहता है।

सावन महीने का इतिहास क्या है?

हिंदू पंचांग का पांचवां महीना, भगवान शिव को समर्पित है। इस दौरान प्रकृति हरियाली से भर जाती है और कई त्योहार मनाए जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की थी, और समुद्र मंथन के दौरान शिव ने विष का पान किया था

सावन और श्रावण में क्या अंतर है?

श्रावण मास के अंतिम दिन चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होता है, इसलिए इसका नाम श्रावण पड़ा. धीरे-धीरे आम बोलचाल की भाषा में यह ‘श्रावण’ शब्द ‘सावन’ में बदल गया. यानी सावन उसी श्रावण का सरल और बोलचाल वाला रूप है

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