बीजिंग। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर सियासी घमासान जारी है। इस बीच यह सवाल उठ रहा है कि पड़ोसी देश चीन में वोटर लिस्ट कैसे तैयार होती है और वहां की चुनावी प्रणाली भारत से कितनी अलग है। दरअसल, चीन में भारत जैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है। वहां कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) का एकछत्र राज है। इस कारण चीन में राष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होते, और सत्ता में आने का फैसला आम मतदाता नहीं बल्कि पार्टी की बंद कमरे में होने वाली बैठकों में होता है।
यहां केवल 18 साल या उससे अधिक उम्र के नागरिक वोट डाल सकते हैं
चीन में वोटर लिस्ट मुख्यत स्थानीय पीपुल्स कांग्रेस के लिए बनाई जाती है। यहां केवल 18 साल या उससे अधिक उम्र के नागरिक वोट डाल सकते हैं, लेकिन केवल उस स्थान पर जहां उनका हुकोउ (स्थायी निवास रजिस्ट्रेशन) दर्ज है। प्रवासी नागरिकों के लिए अन्यत्र मतदान करना लगभग असंभव होता है। चीन में वोटर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अधिकतर स्वचालित होती है, क्योंकि सरकार के पास नागरिकों का पूरा डाटा पहले से मौजूद रहता है। स्थानीय कमेटियां (गांव या शहरी समितियां) ही वोटर लिस्ट बनाती हैं।
भारत में वोटर लिस्ट को समय-समय पर अपडेट किया जाता है
हालांकि, पारदर्शिता की कमी और पार्टी की निगरानी के चलते यह प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं मानी जाती। राष्ट्रीय स्तर पर नहीं होता सीधा चुनाव चीन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या पोलित ब्यूरो के सदस्यों का चयन जनता द्वारा नहीं होता है। ये नेता कम्युनिस्ट पार्टी की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के जरिए चुने जाते हैं। एनपीसी के प्रतिनिधियों को भी प्रत्यक्ष तौर पर जनता नहीं, बल्कि स्थानीय कांग्रेस के जरिए पार्टी ही चुनती है। लेकिन वहीं भारत में वोटर लिस्ट को समय-समय पर अपडेट किया जाता है, और एसआईआर जैसे कार्यक्रम के जरिए फर्जी मतदाताओं को हटाया और नए को जोड़ा जाता है। लेकिन चीन में यह प्रक्रिया लगभग नाम मात्र की होती है, क्योंकि वहां लोकतंत्र की मूल भावना नहीं है।
चीन का विकिपीडिया का संस्करण क्या है?
शाब्दिक रूप से ‘बाइडू विश्वकोश’, जिसे बाइडू विकी भी कहा जाता है) चीनी प्रौद्योगिकी कंपनी बाइडू के स्वामित्व वाला एक अर्ध-विनियमित चीनी-भाषा सहयोगी ऑनलाइन विश्वकोश है। विकिपीडिया की तर्ज पर, इसे 21 अप्रैल 2008 को लॉन्च किया गया था।
चीन के प्रमुख धर्म कौन से हैं?
2021 में, अमेरिकी सरकार ने अनुमान लगाया कि देश की कुल आबादी में बौद्धों की संख्या 18.2 प्रतिशत, ईसाइयों की 5.1 प्रतिशत, मुसलमानों की 1.8 प्रतिशत, लोक धर्मों के अनुयायियों की 21.9 प्रतिशत और नास्तिक या असंबद्ध व्यक्तियों की संख्या 52.2 प्रतिशत है, जबकि हिंदू, यहूदी और ताओवादी 1 प्रतिशत से भी कम हैं।
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