अध्ययन में भारत में पहली बार देखे जाने का रिकॉर्ड
हैदराबाद। उस्मानिया विश्वविद्यालय (Osmania University) के प्राणीशास्त्र विभाग की प्राध्यापक प्रो. चेलमाला श्रीनिवासुलु (Prof. Chelmala Srinivasulu) ने हैदराबाद बर्डिंग पाल्स के नागरिक-वैज्ञानिक श्रीराम रेड्डी के साथ मिलकर तेलंगाना में पक्षियों की 452 प्रजातियों का सावधानीपूर्वक दस्तावेजीकरण किया, जिसमें भारत के लिए पहला रिकॉर्ड भी शामिल है। जर्नल ऑफ थ्रेटेंड टैक्सा में 26 जुलाई को प्रकाशित इस अध्ययन से तेलंगाना की पक्षी विविधता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है, जिसमें दुर्लभ दृश्य और भारत में पहली बार दर्ज किया गया स्पर-विंग्ड लैपविंग शामिल है। इस शोधपत्र में वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों जैसे कि गंभीर रूप से संकटग्रस्त भारतीय गिद्ध और लेसर फ्लोरिकन की उपस्थिति पर भी प्रकाश डाला गया है, तथा पक्षी संरक्षण के लिए इस क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया गया है।
तेलंगाना के छिपे हुए जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों को भी प्रदर्शित करता है हमारा काम
ओयू के एक प्रमुख वन्यजीव जीवविज्ञानी प्रो. श्रीनिवासुलु ने कहा, ‘पक्षी पर्यावरणीय स्वास्थ्य के उत्कृष्ट संकेतक हैं। हमारा काम न केवल पुराने रिकॉर्डों को सही करता है, बल्कि तेलंगाना के छिपे हुए जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों को भी प्रदर्शित करता है – आर्द्रभूमि से लेकर जंगलों तक, घास के मैदानों से लेकर शहरी झीलों तक।’ सह-लेखक और नागरिक-वैज्ञानिक श्रीराम रेड्डी ने कहा कि यह चेकलिस्ट सिर्फ़ वैज्ञानिकों के लिए ही नहीं, बल्कि हर प्रकृति प्रेमी, छात्र और शौकिया पक्षी-प्रेमी के लिए है। उन्होंने कहा, ‘हम हर वर्ग के लोगों को पक्षी-दर्शन के लिए आमंत्रित करते हैं – सिर्फ़ एक शौक के तौर पर नहीं, बल्कि हमारी प्राकृतिक विरासत से एक सार्थक जुड़ाव के तौर पर।’
वे अपने आस-पास के पक्षियों की कद्र करें और उनकी रक्षा करें
यह शोधपत्र दशकों के क्षेत्रीय अवलोकनों, ऐतिहासिक अभिलेखों की समीक्षा और समुदाय द्वारा प्रदान किए गए आँकड़ों का परिणाम है। लेखक शौकिया पक्षीविज्ञानियों, शोधकर्ताओं और ईबर्ड तथा आईनेचुरलिस्ट जैसे मंचों की भूमिका को स्वीकार करते हैं। प्रो. श्रीनिवासुलु ने आगे कहा, ‘हम नागरिकों से आग्रह करते हैं कि वे अपने आस-पास के पक्षियों की कद्र करें और उनकी रक्षा करें। नीति निर्माताओं को शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि आवास की पहचान और संरक्षण को प्राथमिकता दी जा सके। कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष खतरों के कारण हमारी पक्षी विविधता और आबादी घट रही है, इसलिए यह ज़रूरी है कि हम पक्षी प्रेमियों की एक नई पीढ़ी को विकसित करें।’

भारत का पहला पक्षी कौन था?
प्राचीन काल के ग्रंथों और प्रतीकों में हंस को भारत का पहला और सबसे पवित्र पक्षी माना गया है। यह सरस्वती का वाहन भी है और ज्ञान व शुद्धता का प्रतीक रहा है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो पक्षियों की उत्पत्ति बहुत पुराने काल में हुई थी, पर पौराणिक महत्व में हंस अग्रणी है।
भारत में कुल कितने पक्षी हैं?
लगभग 1300 से अधिक पक्षी प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं। इनमें से कई स्थानिक (endemic) हैं जो केवल भारत में ही मिलती हैं। विविध जलवायु और भौगोलिक विविधता के कारण भारत प्रवासी पक्षियों के लिए भी आकर्षक स्थल है, जिससे पक्षीविज्ञान में इसकी विशेष भूमिका है।
पक्षी का राजा कौन है?
मोर को पक्षियों का राजा माना जाता है। इसकी भव्यता, रंग-बिरंगे पंख और नृत्य के कारण यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी है। धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मान्यता में मोर को सौंदर्य और गौरव का प्रतीक माना गया है, जिससे इसे ‘राजा’ की उपमा दी जाती है।
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