किसानों को शुरुआती देरी की भरपाई करने में मिली मदद
हैदराबाद। तेलंगाना में खरीफ (Kharif) की बुवाई में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, जिसकी वजह जुलाई के मध्य में हुई बारिश थी जिससे किसानों को शुरुआती देरी की भरपाई करने में मदद मिली। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, शनिवार तक कुल बुवाई क्षेत्र 82.92 लाख एकड़ तक पहुँच गया, जो पिछले साल के इसी आंकड़े 73.65 लाख एकड़ से अधिक है, और पिछले सप्ताह के 68.8 लाख एकड़ से तेज़ उछाल दर्शाता है।
50 लाख एकड़ के लक्ष्य से अभी भी पीछे
कपास 43.38 लाख एकड़ में फैली प्रमुख फसल रही, हालाँकि यह 50 लाख एकड़ के लक्ष्य से अभी भी पीछे है। धान की रोपाई में तेज़ी आई और 25.53 लाख एकड़ में इसकी बुवाई हुई, इसके बाद मक्का (4.52 लाख एकड़), सोयाबीन (4.26 लाख एकड़) और लाल चना (4.19 लाख एकड़) का स्थान रहा। ज्वार के साथ-साथ मूंग और उड़द जैसी छोटी दालों की बुवाई भी सीमित रही।
किसानों को फसल क्षति के कारण हुआ नुकसान
जुलाई के मध्य में हुई भारी बारिश ने, खासकर दक्षिणी जिलों में, बुवाई गतिविधियों को बढ़ावा दिया। हालाँकि, उत्तरी तेलंगाना को बाढ़, फसलें बह जाने और जलभराव के कारण भारी नुकसान हुआ। मुलुगु, जयशंकर भूपलपल्ली और भद्राद्री कोत्तागुडेम (Kottagudem) जैसे जिलों में, किसानों को फसल क्षति के कारण नुकसान हुआ। फिर भी, स्थिति में सुधार होने पर लगभग 80% प्रभावित भूमि के ठीक होने की उम्मीद है।

खरीफ से आप क्या समझते हैं?
भारत में वर्षा ऋतु के दौरान बोई जाने वाली फसलों को खरीफ फसल कहा जाता है। ये फसलें सामान्यतः जून से जुलाई के बीच बोई जाती हैं और अक्टूबर से नवंबर के बीच काटी जाती हैं। इनमें मानसून की भूमिका अहम होती है, क्योंकि पानी की भरपूर आवश्यकता होती है।
खरीफ की 3 मुख्य फसलें कौन सी हैं?
भारत में खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली तीन प्रमुख फसलें हैं — धान (चावल), मक्का, और कपास। इनके अलावा बाजरा, ज्वार, सोयाबीन, मूंगफली और अरहर जैसी फसलें भी व्यापक रूप से इस मौसम में उगाई जाती हैं, विशेषकर सिंचाई वाले क्षेत्रों में।
खरीफ काल क्या है?
वर्षा ऋतु में बोई जाने वाली फसलों की कृषि अवधि को खरीफ काल कहते हैं। यह आमतौर पर जून से अक्टूबर तक होता है। इस दौरान मानसूनी वर्षा फसलों की सिंचाई करती है। इस काल की सफल खेती वर्षा की मात्रा और समय पर निर्भर करती है।
Read Also : Bhualpalli : केटीआर ने विलय की बातचीत को किया खारिज