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Bihar: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर EC सार्वजनिक करेगा 65 लाख लोगों के नाम

Anuj Kumar
Anuj Kumar
Bihar: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर EC सार्वजनिक करेगा 65 लाख लोगों के नाम

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट से 65 लाख से अधिक नामों को हटाए जाने पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत हुई इस कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए चुनाव आयोग को हटाए गए नामों को समयसीमा के भीतर सार्वजनिक करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

हाल ही में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, उनकी जानकारी निश्चित समय सीमा में सार्वजनिक की जाए। अदालत ने यह भी कहा कि आम नागरिकों की सुविधा के लिए पारदर्शिता बेहद जरूरी है। कोर्ट के इस आदेश के बाद चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह अदालत के निर्देशों का समयबद्ध पालन करेगा।

जल्द सार्वजनिक होंगे नाम?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि वह जल्द काटे गए लोगों के नाम सार्वजनिक करेगी। 20 जुलाई से सभी राजनीतिक दलों को बीएलओ (BLO) द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियों की जानकारी दी जाएगी, जिसमें मृत, दोहरे पते पर दर्ज, और स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं के नाम शामिल होंगे। इसके साथ ही, जिन मतदाताओं के नाम किसी कारणवश मतदाता सूची में शामिल नहीं किए गए हैं, उनकी जानकारी भी कारण सहित ड्राफ्ट रोल में जोड़ी जाएगी और जिला निर्वाचन अधिकारी एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर बूथवार ईपीआईसी नंबर के आधार पर खोजा जा सकेगा।

नाम जुड़वाने के लिए आधार जरूरी

जिन लोगों के नाम ड्राफ्ट सूची से बाहर हैं, वे फॉर्म 6 के माध्यम से नाम जोड़ने का दावा कर सकते हैं। इस प्रक्रिया के तहत आवेदकों को अपने आधार कार्ड की प्रति भी जमा करनी होगी। यह दावा सिर्फ वही लोग कर सकते हैं जिनका नाम 65 लाख हटाए गए नामों की सूची में शामिल है और जो निर्धारित नियमों के तहत पात्र हैं।

क्यों हटाए गए थे नाम?

चुनाव आयोग के अनुसार, जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, उनमें से कई की मृत्यु हो चुकी है, कुछ दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित हो गए हैं और कई के नाम दोहरी प्रविष्टि के कारण हटाए गए। विपक्ष ने इस कार्रवाई को राजनीतिक साजिश बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे में हस्तक्षेप करते हुए नामों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया।

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