नई दिल्ली । अनियमित दिनचर्या, असंतुलित खानपान और काम का दबाव न सिर्फ मानसिक थकान बढ़ा रहा है, बल्कि शारीरिक कमजोरी भी लाता है। ऐसे में योग (Yoga) एक प्रभावी उपाय बनकर सामने आया है। शरीर को मजबूत बनाने के लिए योग के वक्रासन का सहारा लिया जा सकता है।
आयुष मंत्रालय ने साझा किए वक्रासन के फायदे
हाल ही में आयुष मंत्रालय ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) इंस्टाग्राम के जरिए वक्रासन के लाभ साझा किए। यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला और मजबूत बनाता है। खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो दिनभर कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं।
रीढ़ और पाचन तंत्र के लिए लाभकारी
शरीर को एक ओर मोड़ने से रीढ़ पर खिंचाव आता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ती है। साथ ही, यह आसन पाचन तंत्र को सक्रिय करता है। पेट की मांसपेशियों पर दबाव बनने से गैस, अपच और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
डायबिटीज मरीजों के लिए खास
वक्रासन अग्न्याशय को सक्रिय करता है, जिससे इंसुलिन (Insulin) का स्राव बेहतर होता है और शुगर स्तर नियंत्रित रहता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए यह आसन बेहद लाभकारी माना जाता है।
तनाव दूर और मन शांत करता है
गहरी सांस के साथ वक्रासन करने से मस्तिष्क तक ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचती है।
यह मन को शांत करता है, मानसिक तनाव और दिनभर की बेचैनी दूर करने में मददगार है।
फेफड़ों और चर्बी पर भी असर
वक्रासन फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है। शरीर को मोड़ते समय श्वास पर नियंत्रण रखने से फेफड़ों की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं।
साथ ही, यह आसन पेट की चर्बी घटाने में भी सहायक है।
वक्रासन करने की विधि
- दंडासन में बैठें।
- बाएं पैर को मोड़कर दाएं घुटने के पार रखें।
- दाएं हाथ को मोड़कर बाएं पैर के पास लाएं।
- बायां हाथ पीछे जमीन पर टिकाएं।
- धीरे-धीरे कमर, कंधे और गर्दन को बाईं ओर मोड़ें और रीढ़ सीधी रखें।
- सामान्य सांस लेते हुए इस स्थिति में 30 सेकंड तक रुकें।
- धीरे-धीरे वापस आएं और यही प्रक्रिया दूसरी ओर दोहराएं।
नियमित अभ्यास का लाभ
नियमित अभ्यास से वक्रासन न केवल शरीर को स्वस्थ बनाता है, बल्कि मानसिक शांति और जीवन में संतुलन भी लाता है।
वक्रासन क्या होता है?
वक्रासन का अंग्रेजी नाम ‘ट्विस्टेड पोज़’ या ‘ट्विस्टिंग पोज़’ है। यह योग में बैठकर रीढ़ की हड्डी को मोड़ने का एक आसन है जो रीढ़ को धीरे से घुमाकर और पीठ की मांसपेशियों को खींचकर लचीलापन, विषहरण और बेहतर पाचन को बढ़ावा देता है।
वक्र के 4 प्रकार क्या हैं?
विभिन्न प्रकार के वक्रों में खुले वक्र, बंद वक्र, सरल वक्र, अपरिमेय वक्र, परवलय, सर्पिल और अतिपरवलय शामिल हैं।
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