अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो (Peter Navarro) ने हाल ही में एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि भारत में रूसी तेल से होने वाले मुनाफे का लाभ मुख्य रूप से “ब्राह्मण” उठा रहे हैं। यह बयान फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में आया, जहां नवारो ने भारत की रूसी तेल खरीद नीति की आलोचना की। उनके मुताबिक, भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उसे रिफाइन करता है और फिर यूरोप, अफ्रीका, और एशिया में ऊंचे दामों पर बेचकर भारी मुनाफा कमाता है। नवारो ने इसे “भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी” करार देते हुए ब्राह्मण समुदाय को निशाना बनाया।
सस्ते रुसी तेल आयत के बाद आया बयान
नवारो का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद सस्ते रूसी तेल के आयात को बढ़ाया। 2022 से पहले भारत रूस से न के बराबर तेल खरीदता था, लेकिन अब यह उसका सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। भारत का तर्क है कि सस्ता तेल आयात करने से उसने वैश्विक तेल बाजार को स्थिर किया और आम जनता को बढ़ती कीमतों से राहत दी। सरकारी तेल कंपनियों ने 2022-23 में 21,000 करोड़ रुपये का नुकसान सहा ताकि उपभोक्ताओं पर बोझ न पड़े।
जातिगत तनाव भड़काने की कोशिश
नवारो के बयान ने भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। कई लोगों ने इसे भारत की सामाजिक संरचना में हस्तक्षेप और जातिगत तनाव भड़काने की कोशिश बताया। तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने कहा कि अमेरिका में “ब्राह्मण” शब्द का इस्तेमाल अक्सर धनी और प्रभावशाली वर्ग के लिए होता है, लेकिन भारत में इसका संदर्भ अलग है, जिससे यह बयान भ्रामक और अपमानजनक लगता है। वहीं, कांग्रेस नेता उदित राज ने नवारो के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि रूसी तेल से मुनाफा उच्च जातियों के कॉरपोरेट घरानों को मिल रहा है, जिससे आम जनता को कोई लाभ नहीं।
नवारो की टिप्पणी को ट्रम्प प्रशासन की भारत के प्रति बढ़ती आलोचना से जोड़ा जा रहा है, खासकर तब जब पीएम मोदी ने हाल ही में रूस और चीन के नेताओं से मुलाकात की। इस बयान ने भारत-अमेरिका संबंधों में नई खटास पैदा की है, और सोशल मीडिया पर इसे लेकर तीखी बहस छिड़ गई है।
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