बीते अगस्त महीने में ही पूर्व मध्य रेलवे के पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (DDU) पर पहली डिजिटल टीटीई लॉबी (Digital TTE Lobby) चालू हो गई है। इस अभिनव प्रणाली को उत्तर रेलवे के बनारस मंडल, पूर्व मध्य रेलवे के सोनपुर मंडल, पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल, मध्य रेलवे के सीएसएमटी, पुणे और सोलापुर स्थित टीटीई लॉबी, पूर्व रेलवे के मालदा मंडल, दक्षिण पश्चिम रेलवे के मैसूर मंडल, पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल, दक्षिण रेलवे के मदुरै, पालघाट, त्रिची और पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा लॉबी में लागू किया गया है।
उत्तर मध्य रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर पश्चिम रेलवे ज़ोन ने भी विभिन्न मंडलों में चरणबद्ध तरीके से नई प्रणाली लागू की है। उत्तर रेलवे का जम्मू मंडल जल्द ही इस प्रणाली को लागू करने वाला है।
बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण से बढ़ेगी पारदर्शिता
नई प्रणाली बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण को टिकट परीक्षक (टीटीई) लॉबी प्रणाली के साथ एकीकृत करती है, जिससे कर्मचारी आधार-सक्षम बायोमेट्रिक (Biometric) उपकरण का उपयोग करके स्वयं को प्रमाणित कर सकते हैं। यह एक छेड़छाड़-रहित, पारदर्शी और गोपनीयता-अनुपालन उपस्थिति प्रक्रिया सुनिश्चित करती है, जो वास्तविक समय में कार्य घंटों और ड्यूटी स्थिति को सटीक रूप से रिकॉर्ड करती है।
रेलवे की कार्यकुशलता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस प्रणाली का कार्यान्वयन भारतीय रेलवे की कार्यकुशलता और पारदर्शिता में सुधार के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
बायोमेट्रिक साइन-ऑन/ऑफ प्रणाली न केवल कर्मचारियों की तैनाती को सुव्यवस्थित करेगी, बल्कि टिकट जाँच कर्मचारियों की समग्र कार्यकुशलता, पारदर्शिता और जवाबदेही में भी उल्लेखनीय वृद्धि करेगी, जिससे अंततः सभी यात्रियों के लिए अनुभव बेहतर होगा।
भारत में रेलवे का जनक कौन है?
लॉर्ड डलहौजी ने 1848 से 1856 तक भारत के गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया। ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने 1853 के अपने प्रसिद्ध रेलवे मिनटों के माध्यम से अंग्रेजों को भारत में रेलवे शुरू करने के लिए राजी किया था। इस प्रकार, उन्हें भारतीय रेलवे का जनक माना जाता है और यह सही विकल्प है।
रेलवे का मालिक कौन है?
भारतीय रेलवे की मालिक भारत सरकार है, क्योंकि यह एक सरकारी स्वामित्व वाला उपक्रम है और इसका संचालन भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारा किया जाता है। एक विशेष ट्रैक (शकुंतला रेलवे) ब्रिटिश कंपनी के पास है, लेकिन अधिकांश रेलवे नेटवर्क और ट्रेनों का स्वामित्व भारतीय रेलवे का ही है।
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