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Breaking News: Ambani-Adani: पाक सीमा पर अंबानी-अडानी का टकराव

Dhanarekha
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Breaking News: Ambani-Adani: पाक सीमा पर अंबानी-अडानी का टकराव

ग्रीन एनर्जी में बढ़ी प्रतिस्पर्धा

नई दिल्ली: ऊर्जा क्षेत्र में देश के दो बड़े कारोबारी मुकेश अंबानी और गौतम अडानी(Ambani-Adani) अब पाकिस्तान(Pakistan) की सीमा के नजदीक आमने-सामने आ गए हैं। गुजरात के कच्छ(Kutch) के रण में दोनों कंपनियां कई लाख एकड़ बंजर जमीन को ‘ग्रीन गोल्डमाइन’ में बदलने में जुटी हैं। अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 5.5 लाख एकड़ भूमि हासिल की है, वहीं अडानी ग्रुप के पास 4.6 लाख एकड़ जमीन है। इस होड़ से भारत की ऊर्जा व्यवस्था में बड़ा बदलाव आ सकता है

निवेश और संभावनाओं की तस्वीर

रिलायंस इंडस्ट्रीज नई ऊर्जा क्षेत्र में 75,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। यह सोलर PV मैन्युफैक्चरिंग, बैटरी सेल, इलेक्ट्रोलाइजर उत्पादन और ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स में लगाया जाएगा। अडानी ग्रुप भी इसी तरह पवन टर्बाइन, सोलर मैन्युफैक्चरिंग और अक्षय ऊर्जा उत्पादन में भारी निवेश कर रहा है। शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि अंबानी मैन्युफैक्चरिंग और डेटा सेंटर में बढ़त बना सकते हैं, जबकि अडानी(Ambani-Adani) अक्षय ऊर्जा की बिक्री और ट्रांसमिशन में आगे रह सकते हैं।

विश्लेषण के मुताबिक, रिलायंस की योजनाएं सफल रहीं तो 3 मिलियन टन हाइड्रोजन से 7-8 बिलियन डॉलर का EBITDA और 55 GW सोलर+BESS से 5-6 बिलियन डॉलर का EBITDA मिल सकता है। हालांकि, इसके लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी।

दोनों कंपनियों की ताकत और चुनौतियां

जमीन के मामले में दोनों कंपनियां लगभग बराबरी पर हैं। ट्रांसमिशन कनेक्टिविटी में अडानी को बढ़त है, जबकि रिलायंस को सस्ते कर्ज का लाभ मिलता है। मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में अडानी फिलहाल आगे हैं, लेकिन रिलायंस की भविष्य की योजनाएं अधिक महत्वाकांक्षी हैं।

ग्रीन हाइड्रोजन और डेटा सेंटर पर दोनों कंपनियों की नजर है। रिलायंस अपनी रिफाइनरी में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग कर सकती है, जिससे उसे शुरुआती बढ़त मिल सकती है। वहीं, डेटा सेंटर के क्षेत्र में गूगल और मेटा जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी रिलायंस को मजबूती देती है।

भविष्य की योजनाएं

रिलायंस गुजरात में 10 GW की पॉलीसिलिकॉन-टू-मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बना रही है, जिसे 20 GW तक बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, 2026 से 40 GWh बैटरी गीगाफैक्ट्री भी शुरू होगी, जिससे यह भारत में ऊर्जा भंडारण पर ध्यान केंद्रित करने वाली पहली कंपनी बनेगी।

वहीं, अडानी ग्रीन अपनी खावड़ा परियोजना में 50 GW की योजना में से 30 GW क्षमता विकसित कर रही है। इस क्षेत्र में सौर विकिरण का स्तर देश में सबसे अच्छा माना जाता है, जिससे परियोजना की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं।

अडानी और अंबानी की प्रतिस्पर्धा कहां तक फैली है?

दोनों कारोबारी पाकिस्तान सीमा से लगे गुजरात के रण में कई लाख एकड़ जमीन पर अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट विकसित कर रहे हैं। यह प्रतिस्पर्धा भारत के ग्रीन एनर्जी सेक्टर को नया स्वरूप दे सकती है।

रिलायंस और अडानी की सबसे बड़ी मजबूती क्या है?

रिलायंस को सस्ते कर्ज और बड़ी साझेदारियों का लाभ है, वहीं अडानी को मजबूत ट्रांसमिशन कनेक्टिविटी और अक्षय ऊर्जा की बिक्री में बढ़त हासिल है। दोनों की रणनीतियां अलग होते हुए भी लक्ष्य एक ही है—ऊर्जा क्षेत्र में दबदबा।

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