తెలుగు | Epaper

Breaking News: Online Food: ऑनलाइन फूड डिलीवरी

Dhanarekha
Dhanarekha
Breaking News: Online Food: ऑनलाइन फूड डिलीवरी

जीएसटी की राहत और ‘रेन फीस’ की मार

नई दिल्ली: हाल ही में लागू हुए जीएसटी के नए नियमों ने रोजमर्रा की कई चीजों को सस्ता किया है, लेकिन ऑनलाइन खाना(Online Food) मंगाना महंगा कर दिया है। 22 सितंबर से, लोकल ई-कॉमर्स(E-Commerce) डिलीवरी सेवाओं पर 18% जीएसटी लगना शुरू हो गया है। इसके अलावा, फूड डिलीवरी ऐप्स ने ‘रेन फीस’ नाम से एक नया चार्ज लगाना शुरू कर दिया है, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। यह अतिरिक्त चार्ज बारिश के दौरान खाना डिलीवर करने के लिए लिया जाता है, जिस पर 18% जीएसटी भी लगता है

‘रेन फीस’ का अचानक बढ़ना और ग्राहकों की नाराजगी

हाल ही में एक ग्राहक ने सोशल मीडिया पर अपने खाने के बिल का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें स्विगी ने 25 रुपये की ‘रेन फीस’ लगाई थी। 18% जीएसटी के साथ यह चार्ज 29.50 रुपये हो गया। यह अप्रत्याशित चार्ज देखकर कई ग्राहक हैरान और नाराज थे। इससे पहले, डिलीवरी(Online Food) शुल्क पर कोई टैक्स नहीं लगता था, लेकिन नए नियमों के तहत इसे ‘टैक्सेबल सर्विस‘(Taxable Service) माना गया है, जिससे ग्राहकों की लागत बढ़ गई है। कई लोगों ने इस पर गुस्सा जताया, जबकि कुछ ने इसे डिलीवरी पार्टनर्स को प्रोत्साहन देने के लिए सही ठहराया।

जीएसटी में बदलाव और ऑनलाइन डिलीवरी का खर्च

22 सितंबर से पहले, डिलीवरी चार्ज को ‘पास-थ्रू’ माना जाता था, यानी यह सीधे डिलीवरी करने वाले एजेंट को मिलता था और इस पर कोई जीएसटी नहीं लगता था। लेकिन जीएसटी के नए नियमों के अनुसार, अब सभी लोकल डिलीवरी सेवाओं पर 18% जीएसटी लगेगा। इससे ऑनलाइन खाना(Online Food) मंगाना और भी महंगा हो गया है। यह बदलाव ‘जीएसटी बचत उत्सव’ के साथ हुआ है, जहां डेयरी और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स पर जीएसटी दरें कम की गई हैं, लेकिन ऑनलाइन डिलीवरी का खर्च बढ़ गया है, जिससे ग्राहकों को मिश्रित अनुभव मिल रहा है।

विरोधाभास: राहत और अतिरिक्त शुल्क

यह स्थिति एक विरोधाभास को दर्शाती है: एक तरफ सरकार जीएसटी में बदलाव कर आम जनता को राहत दे रही है, जिससे डेयरी और पैकेज्ड फूड जैसी चीजें सस्ती हो रही हैं और परिवारों की बचत बढ़ रही है। वहीं दूसरी तरफ, ऑनलाइन(Online Food) सेवाओं पर जीएसटी लागू होने और ‘रेन फीस’ जैसे अतिरिक्त शुल्कों के कारण ग्राहकों की जेब पर बोझ बढ़ रहा है। यह दिखाता है कि डिजिटल सेवाओं और पारंपरिक खरीदारी के बीच लागत का अंतर बढ़ रहा है, जिससे ग्राहकों के व्यवहार में बदलाव आ सकता है।

‘रेन फीस’ क्या है और इसे क्यों लगाया जाता है?

‘रेन फीस’ एक अतिरिक्त चार्ज है जो फूड डिलीवरी ऐप्स द्वारा बारिश के मौसम में खाना डिलीवर करने के लिए लिया जाता है। इसे डिलीवरी पार्टनर्स को खराब मौसम में काम करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लगाया जाता है।

22 सितंबर को जीएसटी के नियमों में क्या बदलाव हुआ?

22 सितंबर से लोकल ई-कॉमर्स डिलीवरी सेवाओं को ‘टैक्सेबल सर्विस’ माना गया है। इसका मतलब है कि अब डिलीवरी चार्ज पर 18% जीएसटी लगता है, जिससे ऑनलाइन खाना मंगाना महंगा हो गया है।

अन्य पढ़े:

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870