हिंसा के बाद लगाया गया कर्फ्यू
- लेह और आसपास के इलाकों में हाल ही में हुई हिंसक झड़पों के बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है।
- इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।
स्थानीय प्रशासन सतर्क
- प्रशासन की ओर से अपील की गई है कि लोग शांति बनाए रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें।
- किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए CRPF और पुलिस की टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
केंद्र शासित प्रदेश लेह-लद्दाख (Leh-Ladakh) में 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद से ही कई इलाकों में कर्फ्यू लगा हुआ है. इसके साथ ही 5 लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगी हुई है. हिंसा का जिम्मेदार सोनम वांगचुक को ठहराया गया. यही वजह है कि उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. हिंसा का असर अब साफ तौर पर टूरिज्म सेक्टर पर दिखता नजर आ रहा है. ऐसा ही असर पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में देखने को मिला था।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख (Ladakh) ज्यादातर पर्यटन पर ही निर्भर है. क्षेत्र में फैली अशांति और खराब मौसम के कारण इस क्षेत्र में पर्यटन पर काफी असर पड़ रहा है. अगस्त में हुई भारी बारिश और लैंडस्लाइड के कारण कई लोगों ने अपनी ट्रिप को कैंसिल कर दिया है. इसके साथ ही ट्रिप कैंसिल करने की एक वजह हिंसा को भी माना जा रहा है.
खराब मौसम और हिंसा के कारण पर्यटन बुरी तरह प्रभावित
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में आम तौर पर सितंबर और अक्टूबर में ज्यादा लोग पहुंचते हैं. हालांकि इस साल खराब मौसम और पहले पहलगाम हमला और अब लेह-लद्दाख हिंसा का असर पर्यटन पर बुरी तरह पड़ा है. क्षेत्र की मौजूदा स्थिति के कारण लोग भी यात्रा करने से बच रहे हैं. यही कारण है कि ज्यादातर लोग अपनी पहले से प्लान की गई ट्रिप को कैंसिल कर रहे हैं।
लेह में होम-स्टे चलाने वाले सोनम त्सेरिंग ने कहा, “पहले मौसम और अब हिंसा का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है. हम पिछले कुछ सालों में सबसे खराब मौसम का सामना कर रहे हैं. बुधवार 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद बुकिंग कैंसिल करने की संख्या में तेजी आई है. लोग अभी यहां आने से बच रहे हैं. यही कारण है कि इस समय बुकिंग नहीं हो रही हैं. बल्कि लोग अपनी पहले से की गई बुकिंग को कैंसिल कर रहे हैं.”
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लोन की किश्तें भी नहीं चुका पा रहे ड्राइवर
लद्दाख में अगस्त और अक्टूबर महीने के बीच ट्रेकर्स, बाइकर्स का आना शुरू हो जाता है. इन महीनों में बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच जाते हैं, लेकिन कर्फ्यू, कड़ी सुरक्षा और विरोध प्रदर्शनों के कारण लोग आने में हिचकिचा रहे हैं. लोगों ने कहा कि लद्दाख में पर्यटन बहुत सीमित और कम समय के लिए होता है. आमतौर पर यह सीजन मई से अक्टूबर तक चलता है. सर्दी शुरू होने के बाद पहाड़ बंद हो जाते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हम साल के आधे हिस्से में गुजारा करने के लिए कमाई करते हैं. टैक्सी ड्राइवरों का कहना है कि सीजन इतना खराब है कि वे हम लोग लोन की किश्तें भी नहीं चुका पा रहे हैं।
पहलगाम हमले के बाद कश्मीर का भी यही हुआ था हाल
जम्मू-कश्मीर में अप्रैल में हुए पहलगाम हमले का असर अब तक देखने को मिल रहा है. लोग यात्रा करने से बच रहे हैं. एक समय पर पूरे इलाके के होटल और होम-स्टे पूरी तरह से खाली थे. हालांकि अब स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है. इसके बाद भी होटल मालिक और टैक्सी ड्राइवरों में चिंता है।
लेह, लद्दाख में किसकी सरकार है?
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का प्रशासन ( sic ) भारतीय केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और उसके दो जिलों का शासी प्राधिकरण है। प्रशासन का नेतृत्व भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक उपराज्यपाल करते हैं जो भारत की केंद्र सरकार की ओर से कार्य करते हैं। लद्दाख में निर्वाचित विधान सभा नहीं है।
लद्दाख में हिंदू आबादी कितनी है?
सबसे बड़ा जातीय समूह बौद्ध है, जिसकी जनसंख्या 77.30% है, उसके बाद मुस्लिम 13.78% और हिंदू 8.16% हैं।
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