नई दिल्ली। टेक्निकल फील्ड में पीएचडी करने वाले छात्रों के लिए बड़ी खबर है। (AICTE) (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) पीएचडी कोर्सेज में कई बदलाव करने जा रहा है। ये बदलाव इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट और डिजाइन जैसे कोर्सेज पर लागू होंगे। हालांकि, ये बदलाव तब ही फाइनल होंगे जब केंद्र सरकार से मंजूरी मिल जाएगी।
PhD एडमिशन से हट सकता है इंटरव्यू
सबसे बड़ा बदलाव यह है कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया से इंटरव्यू को हटा दिया जाएगा। AICTE का उद्देश्य है कि दाखिला, रिसर्च और मूल्यांकन प्रक्रिया में एकरूपता और पारदर्शिता आए।
- पहले उच्च शिक्षा संस्थानों में 70:30 का अनुपात होता था, जिसमें 70% वेटेज लिखित परीक्षा और 30% इंटरव्यू को दिया जाता था।
- नए नियमों के अनुसार, अब केवल लिखित परीक्षा होगी।
- संस्थान की अपनी प्रवेश परीक्षा के लिए 70% और (GATE/NET) जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा के लिए 30% वेटेज तय होगा।
इस बदलाव का उद्देश्य
AICTE का कहना है कि इससे पीएचडी प्रवेश परीक्षा में पक्षपात कम होगा और मेरिट सिर्फ लिखित परीक्षा के आधार पर तय होगी।
हालांकि, शिक्षा जगत के कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे छात्रों की कम्युनिकेशन स्किल (Communication Skill) और शोध क्षमता का सही आकलन नहीं हो पाएगा।
पीएचडी की अवधि
- फुल टाइम पीएचडी: न्यूनतम 3 वर्ष, अधिकतम 6 वर्ष।
- पार्ट टाइम पीएचडी: न्यूनतम 4 वर्ष, अधिकतम 8 वर्ष।
यह अवधि UGC Guidelines के अनुसार तय की गई है।
AI के इस्तेमाल की जानकारी देना अनिवार्य
पीएचडी में दाखिला लेने वाले छात्रों को यह बताना होगा कि उनके रिसर्च पेपर में AI का कितना इस्तेमाल हुआ है। यह कदम AI के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए उठाया गया है।
सुपरविजन के नियम में बदलाव
सुपरविजन के नियम UGC के समान रहेंगे, लेकिन अब इसमें विजिटिंग फैकल्टी, प्रैक्टिस प्रोफेसर और एमेरिटस प्रोफेसर शामिल हैं। ये सभी सीमित संख्या में पीएचडी छात्रों को को-सुपरवाइज कर सकेंगे।
Read More :