चाकलेट मांगी तो सिर पर पत्थर पटककर की थी हत्या; कोर्ट में बोला-अफसोस नहीं
करीब ढाई साल पुराने मामले में जिला कोर्ट ने सात वर्षीय मासूम बेटी (Innocent daughter) की हत्या करने वाले पिता को उम्र कैद की सजा सुनाई है। मासूम ने पिता से चाकलेट मांगी थी तो उसने चिढ़कर उसके सिर पर पत्थर पटक दिया था। फिर जब वह उसका शव ठिकाने ले जा रहा था तो लोगों ने देखा और पुलिस को सूचना देकर गिरफ्तार कराया था। चौंकाने वाली बात यह कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी उसके चेहरे पर न कोई शिकन थी और न ही कुछ पछतावा था। उसका कहना था कि मेरा दिमाग घूम गया था।
आरोपी का नाम राकेश काजलिया (Rakesh Kajliya) (40) निवासी ऋषि पैलेस कॉलोनी है। शुक्रवार को कोर्ट ने उसे दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई। घटना 3 जून 2023 को हुई थी। शाम 7 बजे प्रजापत नगर, उत्कर्ष गार्डन के पास यहीं रहने वाले अतुल यादव ने एक व्यक्ति को कंधे पर करीब 7 साल की एक बच्ची को कंधे पर गुजरते देखा।
उस व्यक्ति के कपड़ों पर खून था और लड़की के चेहरे से भी खून निकल रहा था। अतुल ने जब उससे पूछा कि यह कौन है और कहां ले जा रहे हो। उसने अपना नाम राकेश कजालिया बताते हुए कहा कि यह मेरी बेटी संध्या है और मैंने उसे मार दिया है। मैं उसे घर ले जा रहा हूं।
सिरपुर तालाब के पास की थी हत्या
आसपास के लोग इकट्ठा हुए और देखा तो मासूम बेटी बच्ची की मौत हो चुकी थी। इस पर पुलिस को सूचना दी तो वह आई और मासूम बेटी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा। पुलिस ने उससे राकेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने बताया कि वह कुछ दिनों से नौकरी पर नहीं जा रहा था। इस वजह से उसका दिमाग खराब था। उसकी बेटी ने उससे चाकलेट मांगी थी, जिसे लेकर वह चिढ़ गया और उसे सिरपुर तालाब की तरफ ले जाकर उसका सिर पत्थर पर पटक कर उसने उसे मार दिया। उसने कहा कि तब मेरा दिमाग घूम गया था। इस पर पुलिस ने उसके खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया।
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मामले में पुलिस ने घटनास्थल से खून से सना पत्थर, बच्ची और आरोपी के खून से सने कपड़े जब्त किए। इसके साथ ही रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरे के कुछ फुटेज, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट चालान में पेश की। इसके साथ ही आरोपी द्वारा बच्ची के शव कंधे पर रखकर ले जाने संबंधी लोगों के बयान, जब्ती गवाह, पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर सहित अन्य गवाहों के साथ सहित मजबूत साक्ष्य पेश किए।
सरकारी वकील ने की फांसी की मांग
करीब ढाई साल तक केस में सुनवाई हुई। आरोप सिद्ध होने के बाद अतिरिक्त लोक अभियोजक योगेश जायसवाल ने कोर्ट से गुहार की कि आरोपी ने मासूम बच्ची को सिर्फ इसलिए मार डाला कि उसने चाकलेट की मांग की थी। आरोपी द्वारा किया गया यह कृत्य अति गंभीर है और किंचित भी क्षम्य नहीं है। उसे फांसी की सजा के अलावा और कोई दंड देना उचित नहीं होगा।
पहला अपराध है इसलिए नरमी बरती जाए
आरोपी के एडवोकेट ने बचाव में तर्क दिया कि यह उसका पहला अपराध है। वह परिवार का मुखिया है और एकमात्र कमाई करने वाला सदस्य है। उसने गहरी हताशा और निराशा में घटना को अंजाम दिया है इसलिए दंड में नरमी बरती जाई। इसके साथ ही न्याय दृष्टांत पंजाब के एक केस का हवाला दिया जिसमें ऐसे ही एक केस में आरोपी का कोई पूर्व का अपराध नहीं था। मामले में कोर्ट ने आरोपी राकेश को उम्र कैद और एक हजार रु. के अर्थदंड से दंडित किया।
उम्रकैद में कितने साल की सजा होती है?
उम्रकैद में आखिरी सांस तक जेल में बितानी होगी साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट अपने एक फैसले में यह स्पष्ट कर चुका है कि आजीवन कारावास का मतलब जीवनभर के लिए जेल है और इससे ज्यादा कुछ नहीं.
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