कर्मचारियों की पेंशन सुरक्षा होगी मजबूत
नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन(EPFO) अनिवार्य भविष्य निधि(EPF) और पेंशन(EPS) अंशदान के लिए वेतन सीमा बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। वर्तमान सीमा 15,000 रुपये प्रति माह है, जिसे 2014 में 6,500 रुपये से बढ़ाया गया था। नई प्रस्तावित बढ़ोतरी से करोड़ों कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा और सेवानिवृत्ति लाभों का दायरा मिलता हुआ दिखाई दे सकता है। लेबर कोड में हालिया सुधारों के बाद यह बदलाव और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
लेबर कोड के बाद नई जरूरतें
सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर चार लेबर कोड लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ और सुरक्षित कार्य वातावरण देना है। कंपनियों के लिए अनुपालन को सरल बनाना भी इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। ऐसे समय में वेतन सीमा बढ़ाने की तैयारी श्रमिकों की सुरक्षा को और व्यापक करती है।
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने हाल में मुंबई(Mumbai) में कहा कि 15,000 रुपये से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों का बड़ा हिस्सा औपचारिक पेंशन योजनाओं से दूर रह जाता है। उन्होंने इसे चिंता का विषय बताते हुए कहा कि कई निजी क्षेत्र के कर्मचारी बुढ़ापे में पेंशन न होने की वजह से आर्थिक निर्भरता में फंस जाते हैं। इसी से वेतन सीमा पर पुनर्विचार की आवश्यकता सामने आई है।
कितनी बढ़ सकती है नई सीमा
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ईपीएफओ(EPFO) की वेतन सीमा को 25,000 रुपये प्रति माह तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। इस पर अगले वर्ष की शुरुआत में केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में चर्चा होने की संभावना है। श्रम मंत्रालय की आंतरिक समीक्षा के मुताबिक सीमा में 10,000 रुपये की बढ़ोतरी से लगभग 1 करोड़ नए कर्मचारियों को EPF और EPS का अनिवार्य लाभ मिल सकेगा।
मजदूर संघ लंबे समय से इस बदलाव की मांग करते आए हैं, क्योंकि वर्तमान 15,000 रुपये की सीमा बड़े शहरों में बढ़ती लागत और वेतन मानकों के अनुरूप नहीं मानी जाती। एक उच्च वेतन सीमा न केवल अधिक कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा देगी बल्कि उनकी दीर्घकालिक सेवानिवृत्ति पूंजी को भी मजबूत बनाएगी।
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बदलाव से कर्मचारियों पर असर
15,000 से 25,000 रुपये वेतन पाने वाले कर्मचारी स्वचालित रूप से ईपीएफ और ईपीएस के दायरे में आ जाएंगे। इससे उनकी हर महीने अनिवार्य बचत बढ़ेगी और लंबे समय में पेंशन लाभ मजबूत होंगे। अधिक राशि पर ब्याज मिलने से कुल सेवानिवृत्ति कॉर्पस में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
25,000 रुपये से अधिक वेतन वाले कर्मचारियों पर इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनके लिए यह नामांकन अभी भी वैकल्पिक रहेगा। हालांकि नियोक्ता चाहें तो आवश्यकता से अधिक कर्मचारियों को भी ईपीएफ लाभ दे सकते हैं। उच्च सीमा नियोक्ता योगदान, कर-मुक्त बचत और पेंशन लाभों में भी वृद्धि लाएगी।
वेतन सीमा बढ़ने से कर्मचारियों को मुख्य लाभ क्या होंगे?
नई सीमा के बाद अधिक कर्मचारी अनिवार्य पेंशन और भविष्य निधि कवरेज में आएंगे। इससे उनकी दीर्घकालिक बचत मजबूत होगी, पेंशन लाभ बढ़ेंगे और EPF खाते में अधिक ब्याज जमा होगा। यह आर्थिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
उच्च वेतन सीमा से सामाजिक सुरक्षा ढांचा कैसे बदलेगा?
विस्तृत कवरेज से औपचारिक क्षेत्र के अधिक कर्मचारी सुरक्षित वित्तीय योजना में शामिल हो पाएंगे। इससे श्रम बाजार में स्थिरता बढ़ेगी और भविष्य निधि प्रणाली मजबूत होगी, जिससे कर्मचारियों के लिए सुरक्षित सेवानिवृत्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
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