తెలుగు | Epaper

Breaking News: Russia: तेल निर्यात गिरावट से रूस की बड़ी चोट

Dhanarekha
Dhanarekha
Breaking News: Russia: तेल निर्यात गिरावट से रूस की बड़ी चोट

रूस को तेल व्यापार में भारी नुकसान

नई दिल्ली: नई दिल्ली में जारी ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार रूस(Russia) के तेल निर्यात में नवंबर महीने में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने बताया कि तेल निर्यात 420 किलोबैरल प्रतिदिन घटकर 6.9 मिलियन बैरल प्रतिदिन पर पहुंच गया। इससे रूस को राजस्व में भी बड़ी कमी देखने को मिली, जो फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से सबसे निचले स्तर पर चली गई।

रिपोर्ट के मुताबिक निर्यात घटने और दाम कम होने से रूस(Russia) की तेल से होने वाली कमाई 11 अरब डॉलर(dollar) रह गई, जो पिछले साल की तुलना में काफी कम है। कहा जा रहा है कि अमेरिका के बढ़ते प्रतिबंध, यूक्रेन के लगातार हमले और खरीदारों की कम होती दिलचस्पी इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं

रूस के कच्चे तेल दामों में तेज गिरावट

यूराल क्रूड(Ural crude) की कीमतें भी तेज़ी से गिरीं और यह 43.52 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। फरवरी 2022 के बाद यह सबसे कम स्तर है। कीमतों की इस भारी गिरावट ने रूस की कमाई पर गहरा असर डाला क्योंकि कीमत और मात्रा दोनों में कमी ने कुल राजस्व को कम कर दिया। IEA का कहना है कि यह राजस्व युद्ध शुरू होने के बाद से किसी भी महीने में सबसे कम रहा।

दूसरी ओर, लगातार बढ़ते जोखिमों के कारण खरीदार अब रूस से तेल खरीदने को लेकर अधिक सावधान हो गए हैं। कीमतों का कम होना और प्रतिबंधों का बढ़ता प्रभाव रूस के लिए ऊर्जा व्यापार को और चुनौतीपूर्ण बना रहा है।

शैडो फ्लीट पर हमलों का असर

आईईए की रिपोर्ट बताती है कि यूक्रेन ने हाल के महीनों में रूस(Russia) की ‘शैडो फ्लीट’ नामक जहाजों पर हमले तेज कर दिए हैं। यह जहाज प्रतिबंधों को दरकिनार कर तेल ढोते थे। इन हमलों के कारण काला सागर से रूस का समुद्री तेल निर्यात लगभग आधा रह गया। इससे रूस के लिए वैश्विक बाजार तक पहुंचना और कठिन हो गया।

इसके अलावा समुद्री तेल सुविधाओं पर हुए हमलों ने रूस की लॉजिस्टिक क्षमताओं को भी काफी नुकसान पहुंचाया। ऐसे हमलों का असर केवल निर्यात पर ही नहीं, बल्कि घरेलू सप्लाई चेन पर भी पड़ा है।

अन्य पढ़े: Breaking News: IPO: IPO बाजार में नया कीर्तिमान

रिफाइनरियों पर दबाव और अमेरिका का रुख

यूक्रेन द्वारा रूस की रिफाइनरियों पर बढ़ते हमलों ने देश के अंदर पेट्रोल की कीमतों को प्रभावित किया है। कई क्षेत्रों में ईंधन राशनिंग की नौबत आ गई। यह स्थिति तब और खराब हुई जब अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर सख्त चेतावनी जारी की। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के आयात पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया है, जिससे वैश्विक व्यापार माहौल और तनावपूर्ण हो गया है।

आईईए का कहना है कि वैश्विक सप्लाई नवंबर में 610 kb/d कम हो गई, और OPEC+ देशों ने इस गिरावट में प्रमुख भूमिका निभाई। रूस और वेनेजुएला जैसे देशों में लगातार कमी और कुवैत–कजाकिस्तान में अप्रत्याशित रुकावटों ने आपूर्ति को और कमजोर कर दिया।

रूस के तेल निर्यात में इतनी गिरावट क्यों आई?

रूस(Russia) पर बढ़ते अमेरिकी प्रतिबंध, यूक्रेन के जहाज़ों और रिफाइनरियों पर हमले, खरीदारों की घटती मांग और यूराल क्रूड की कीमतों में गिरावट—ये सभी मिलकर निर्यात में भारी कमी का कारण बने। साथ ही रूस के ऊर्जा ढांचे पर हमलों ने घरेलू उत्पादन और सप्लाई को भी प्रभावित किया।

क्या वैश्विक बाजार पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा?

वैश्विक बाजार में भी आपूर्ति की कमी दिख रही है क्योंकि OPEC+ देशों ने उत्पादन में भारी कटौती की है। इससे वैश्विक तेल आपूर्ति दो महीनों में 1.5 mb/d तक कम हो गई है। रूस और वेनेजुएला में लगातार हो रही उत्पादन कमी ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

अन्य पढ़ें:

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870