Aurangzeb की कब्र का विवाद पहुंचा संयुक्त राष्ट्र, मुगल बादशाह के वंशज ने पत्र लिखकर मांगी सुरक्षा
मुगल इतिहास एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार विवाद Aurangzeb की कब्र को लेकर है, जो अब भारत की सरहदों से निकलकर संयुक्त राष्ट्र (UN) तक पहुंच गया है। मुगल बादशाह औरंगजेब के वंशज ने एक आधिकारिक पत्र लिखकर संयुक्त राष्ट्र से कब्र की सुरक्षा की मांग की है, जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों को सुरक्षित रखने की अपील की गई है।
कहां स्थित है Aurangzeb की कब्र?
औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में खुल्दाबाद नामक स्थान पर स्थित है। यह कब्र भारत में ऐसी इकलौती मुगल शासक की कब्र है जो सादगी और बिना गुंबद की वास्तुकला के लिए जानी जाती है। Aurangzeb की इच्छा थी कि उसे एक साधारण तरीके से दफनाया जाए, और यही उसकी कब्र में झलकता है।

कब शुरू हुआ विवाद?
हाल के वर्षों में Aurangzeb के इतिहास और शासन को लेकर देश में तीखी बहस देखने को मिली है। कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने कब्र को ‘विवादित प्रतीक’ बताते हुए इसे हटाने या सीमित करने की मांग की, वहीं इतिहासकारों और कई मुस्लिम संगठनों ने इसे धरोहर और धार्मिक स्थल बताते हुए इसके संरक्षण की अपील की है।विवाद तब और बढ़ गया जब कब्र के आस-पास विरोध प्रदर्शन और कुछ आपत्तिजनक बयानबाज़ी शुरू हुई। इसके बाद मुगल वंश के वंशज ने यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने का निर्णय लिया।
UN को लिखा गया पत्र
मुगल वंश के शहजादा याकूब हुमायूं मिर्ज़ा, जो खुद को Aurangzeb के प्रत्यक्ष वंशज बताते हैं, ने एक पत्र संयुक्त राष्ट्र के यूनेस्को (UNESCO) और मानवाधिकार परिषद को लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा:
“यह कब्र न केवल मेरे पूर्वज की अंतिम विश्रामस्थली है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और इस्लामी विरासत का महत्वपूर्ण प्रतीक भी है। इसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश एक पूरी संस्कृति और अतीत को मिटाने जैसा होगा।”
क्या है सुरक्षा की मांग?
पत्र में संयुक्त राष्ट्र से अपील की गई है कि:
- कब्र को विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी जाए।
- इसके चारों ओर सुरक्षा बढ़ाई जाए।
- केंद्र सरकार और महाराष्ट्र प्रशासन को निर्देश दिया जाए कि वो इसके संरक्षण और मरम्मत पर ध्यान दें।
- सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय नजर रखी जाए।

इतिहासकारों की राय
इतिहासकारों का मानना है कि भले ही Aurangzeb का शासन विवादास्पद रहा हो, लेकिन उनकी कब्र को हटाना या विवादास्पद कहना इतिहास को मिटाने जैसा होगा। डॉ. सलीम अंसारी, इतिहास विशेषज्ञ कहते हैं :“भारत की मिट्टी में औरंगजेब जैसा शासक भी रहा है – उसके अच्छे-बुरे फैसले इतिहास का हिस्सा हैं। उसकी कब्र को हटाना, किसी किताब का एक पन्ना फाड़ने जैसा है।”
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार की ओर से इस विवाद पर कोई सीधा बयान नहीं आया है, लेकिन महाराष्ट्र पुलिस और पुरातत्व विभाग ने कब्र स्थल की निगरानी बढ़ा दी है। ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने कहा है कि यह स्थल एक संरक्षित स्मारक के दायरे में आता है और इसकी सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है।Aurangzeb की कब्र पर उठे विवाद ने इतिहास और वर्तमान की टकराहट को उजागर किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संयुक्त राष्ट्र इस मामले पर क्या रुख अपनाता है। क्या एक ऐतिहासिक स्मारक अंतरराष्ट्रीय संरक्षण का पात्र बन पाएगा?