राज्यसभा में आवाज उठा रहे हैं बीआरएस सांसद
हैदराबाद। बीआरएस संसदीय दल के नेता के.आर. सुरेश रेड्डी (Suresh Reddy) ने आंध्र प्रदेश द्वारा प्रस्तावित गोदावरी-बनकाचेरला परियोजना (Project) का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश की बनकाचेरला परियोजना का समर्थन किया, जिससे गोदावरी नदी के पानी में तेलंगाना का हिस्सा खतरे में पड़ गया। दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए सुरेश रेड्डी ने कहा कि पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के मार्गदर्शन में बीआरएस सांसद तेलंगाना के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ राज्यसभा में आवाज उठा रहे हैं।
दिल्ली में धरने में क्यों शामिल नहीं हुए कांग्रेस के नेता?
उन्होंने कहा, ‘हमने स्थगन प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन हमें चुप कराने की कोशिश की जा रही है। राज्य सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है, जबकि हमारे पानी का रास्ता बदला जा रहा है।’ उन्होंने पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पर भी निशाना साधा। उन्होंने पूछा, ‘इस मुद्दे को संसद में लड़ा जाना चाहिए, प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शनों के ज़रिए नहीं। अगर कांग्रेस इस मुद्दे के लिए प्रतिबद्ध है, तो राहुल गांधी या कांग्रेस के अन्य शीर्ष नेता दिल्ली में धरने में क्यों शामिल नहीं हुए?’ उन्होंने पिछड़ा वर्ग उप-योजना के कार्यान्वयन में प्रतिबद्धता की कमी की ओर भी इशारा किया। राज्यसभा सांसद वड्डीराजू रविचंद्र ने कहा कि कांग्रेस के चंद्रशेखर राव का नाम लेकर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पिछड़ी जातियों के आरक्षण पर कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन एक राजनीतिक स्टंट से ज़्यादा कुछ नहीं है।
राज्य मंत्रिमंडल में एक भी एसटी, यादव या मुन्नुरू कापू नहीं
उन्होंने कहा, ‘गांधी परिवार से कोई भी इसमें शामिल नहीं हुआ। रेवंत रेड्डी सिर्फ़ राजनीतिक फ़ायदे के लिए बीसी का इस्तेमाल कर रहे हैं।’ उन्होंने पिछड़ा वर्ग आरक्षण विधेयक को लागू करने में कांग्रेस की ईमानदारी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ये विधेयक राज्यपाल की मंज़ूरी के बिना पारित किए गए और नौवीं अनुसूची के तहत संरक्षित नहीं हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘राज्य मंत्रिमंडल में एक भी एसटी, यादव या मुन्नुरू कापू नहीं है। क्या यही सामाजिक न्याय है?’
भारत की सबसे पुरानी नदी घाटी परियोजना कौन सी है?
देश की सबसे पुरानी नदी घाटी परियोजना दामोदर घाटी परियोजना है, जो 1948 में शुरू की गई थी। इसे बाढ़ नियंत्रण, बिजली उत्पादन और सिंचाई के उद्देश्य से पश्चिम बंगाल और झारखंड में विकसित किया गया था।
भारत में सबसे बड़ी परियोजना कौन सी है?
देश की सबसे बड़ी परियोजना सरदार सरोवर परियोजना है। यह नर्मदा नदी पर गुजरात में स्थित है और यह सिंचाई, पेयजल और जलविद्युत उत्पादन के लिए चार राज्यों को लाभ पहुंचाती है।
नर्मदा सागर परियोजना से किस राज्य का वन क्षेत्र प्रभावित हो रहा है?
यह परियोजना से मध्य प्रदेश का वन क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। इस परियोजना के अंतर्गत बड़ी मात्रा में जंगल डूब क्षेत्र में आ गए हैं, जिससे पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव पड़े हैं।
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