ई-कॉमर्स में बड़ा बदलाव
नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स, विशेष रूप से चैटबॉट्स, खरीदारी के तरीके को बदल रहे हैं। क्रिसमस और नए साल के तोहफे खरीदने से लेकर रोज़मर्रा की ज़रूरतों तक, दुनियाभर में बड़ी संख्या में उपभोक्ता शॉपिंग(Consumer Shopping) के लिए AI से सलाह ले रहे हैं। ये चैटबॉट्स यूज़र की ज़रूरतों को समझते हैं, प्रोडक्ट्स को छाँटते हैं और उनकी तुलना करने में मदद करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक AI चैटबॉट्स के माध्यम से शॉपिंग का आंकड़ा ₹270 लाख करोड़ से बढ़कर ₹450 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है।
चैटबॉट्स का बढ़ता प्रभुत्व और तकनीकी भागीदारी
शॉपिंग की सलाह देने के लिए ChatGPT जैसे टूल्स का उपयोग अमेरिका में सामान्य रिसर्च के बाद दूसरा सबसे आम उपयोग बन गया है। इस बढ़ती माँग को देखते हुए बड़ी टेक कंपनियाँ इस बाज़ार में सक्रिय रूप से प्रवेश कर रही हैं।
बढ़ती उपयोगिता: हॉलिडे सीज़न में, अमीर देशों में दो तिहाई उपभोक्ता, और 18-24 वर्ष के 15-20% युवा शॉपिंग के लिए AI की मदद लेने की योजना बना रहे हैं। मिजुहो बैंक के एनालिस्ट का मानना है कि वॉलमार्ट की वेबसाइट पर चार प्रतिशत विज़िट (दौरे) दूसरों के हवाले से हुई हैं, जो AI एजेंट्स के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती हैं।
तकनीकी साझेदारी और टकराव: ओपन एआई ने शॉपिफाई और एटसी जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से करार किया है ताकि उनके चैटबॉट्स के ज़रिए व्यवसायी अपने प्रोडक्ट्स बेच सकें और इसके बदले में फीस ली जा सके। दूसरी ओर, अमेजन जैसी कुछ ई-कॉमर्स वेबसाइट्स उनके और उनके कस्टमर के बीच AI एजेंट्स होने से नाराज़ हैं। अमेज़न ने ओपन एआई के एजेंट्स को सूचनाएं लेने से ब्लॉक कर दिया है और परप्लेक्सिटी पर मुकदमा चला रही है।
AI की क्षमताएँ और सीमाएँ
AI चैटबॉट्स कुछ वस्तुओं की खरीदारी में उत्कृष्ट साबित हो रहे हैं, जबकि अन्य में वे अभी भी पिछड़ रहे हैं। उनके प्रदर्शन की गुणवत्ता प्रोडक्ट के स्पेसिफिकेशन पर निर्भर करती है।
सफलता के क्षेत्र: डेड्रीम (AI फैशन शॉपिंग टूल) की फाउंडर जूली बोर्नस्टीन के अनुसार, चैटबॉट्स स्पष्ट और तुलनात्मक स्पेसिफिकेशन वाले प्रोडक्ट्स जैसे वैक्यूम क्लीनर और गैजेट्स की सर्चिंग के लिए अधिक सहायक हैं।
कमजोर क्षेत्र: कॉस्मेटिक्स जैसे स्पेसिफिकेशन और निजी पसंद वाले प्रोडक्ट के मामले में ये टूल ठीक-ठाक हैं, लेकिन फैशन जैसे व्यक्तिगत (पर्सनल) क्षेत्र में, जहाँ स्टाइल और रंग की पसंद बहुत मायने रखती है, AI अधिकतर मौकों पर गलती करते हैं।
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मानवीय संपर्क और भौतिक स्टोरों का महत्व
AI के माध्यम से ऑनलाइन शॉपिंग में हो रहे इस बड़े बदलाव के बावजूद, उपभोक्ता अभी भी मानवीय संपर्क को महत्व देते हैं, जिसने वास्तविक (Physical) स्टोर्स की अहमियत बढ़ा दी है।
मानवीय संवाद का मूल्य: शॉपिफाई के एक सर्वे में तीन चौथाई लोगों ने बताया कि वे शॉपिंग करते हुए मानवों से संवाद को महत्व देते हैं। यह आंकड़ा 2024 के मुकाबले पचास फीसदी अधिक है, जो दर्शाता है कि तकनीक के बढ़ने के साथ ही व्यक्तिगत (पर्सनल) इंटरैक्शन की माँग भी बढ़ रही है।
स्टोर की भूमिका: कंपनियों को अब शानदार डिस्प्ले और आकर्षक असिस्टेंट वाली वास्तविक दुकानों के माध्यम से स्वयं को पेश करने का एक नया अवसर मिला है। ये स्टोर ग्राहकों को खरीदारी का अनुभव प्रदान करते हैं, जिसे AI पूरी तरह से दोहरा नहीं सकता।
मैकिन्जी की स्टडी के अनुसार, 2030 तक चैटबॉट्स के माध्यम से शॉपिंग का अनुमानित मूल्य कितना है?
मैकिन्जी के अनुमान के अनुसार, 2030 तक चैटबॉट्स के माध्यम से शॉपिंग का मूल्य ₹270 लाख करोड़ से ₹450 लाख करोड़ तक पहुँच सकता है।
ई-कॉमर्स में AI एजेंट्स के बढ़ते उपयोग के बावजूद, किन उत्पादों की खरीदारी में चैटबॉट्स को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है, और क्यों?
AI चैटबॉट्स को फैशन जैसे व्यक्तिगत पसंद वाले क्षेत्रों में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि ये प्रोडक्ट्स स्पेसिफिकेशन से ज़्यादा निजी पसंद (पर्सनल चॉइस) पर निर्भर करते हैं। फैशन में, स्टाइल और रंग जैसी बारीकियाँ होती हैं, जिनमें चैटबॉट्स अक्सर गलती करते हैं।
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