गोल्डमैन सैक्स का अनुमान, साल के अंत तक दरों में कटौती
नई दिल्ली: इस साल के अंत तक ब्याज दरों(Interest Rates) में कमी की उम्मीद बढ़ गई है। ग्लोबल इनवेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स(Goldman Sachs) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत(India) में मौद्रिक नीति जल्द ही नरम रुख अपनाएगी। इससे कर्ज की मांग में तेजी आएगी और लोगों को लोन की ईएमआई(EMI) में राहत मिल सकती है।
रेपो दर में कटौती की संभावना
गोल्डमैन सैक्स(Goldman Sachs) ने कहा कि जीएसटी सुधारों और घरेलू नियामक ढील से आर्थिक माहौल में सुधार हुआ है। इसका असर क्रेडिट की आपूर्ति पर पड़ेगा, जिससे कर्ज वितरण बढ़ने की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आरबीआई ने अपनी पिछली मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा था, लेकिन आर्थिक संकेतक अब कटौती की ओर इशारा कर रहे हैं।
बाहरी कारकों से बनी चुनौती
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के आर्थिक आउटलुक पर कुछ बाहरी दबाव भी हैं। अमेरिका में H-1B वीज़ा लागत बढ़ने और भारतीय उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ से आईटी और निर्यात क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है। हालांकि, अनुकूल मानसून और जीएसटी दरों में कमी ने घरेलू वृद्धि के अनुमान को मजबूत किया है।
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ग्राहकों को क्या होगा फायदा
अगर आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है, तो बैंकों की कर्ज देने की लागत घटेगी और उसका सीधा लाभ ग्राहकों तक पहुंचेगा। इससे होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की ईएमआई में कमी आ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले महीनों में बैंक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में और रियायतें दे सकते हैं।
क्या वाकई इस साल रेपो रेट घट सकती है?
गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि आर्थिक संकेतों और मुद्रास्फीति में स्थिरता को देखते हुए वर्ष-अंत तक 0.25 प्रतिशत की दर कटौती संभव है। इससे अर्थव्यवस्था में कर्ज की मांग और खपत दोनों को प्रोत्साहन मिलेगा।
क्या लोन लेने वालों को अभी इंतजार करना चाहिए?
विशेषज्ञ मानते हैं कि जो लोग नया लोन लेना चाहते हैं, वे थोड़ा इंतजार करें। दरें घटने के बाद कर्ज की ईएमआई कम हो सकती है, जिससे लंबी अवधि में बचत बढ़ेगी।
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