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Breaking News: GST: आइसक्रीम-शैंपू तक सस्ते हुए दाम

Dhanarekha
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Breaking News: GST: आइसक्रीम-शैंपू तक सस्ते हुए दाम

कंपनियों ने दुकानों पर भेजे नए पैक

नई दिल्ली: जीएसटी(GST) दरों में बदलाव का असर अब ग्राहकों तक पहुंचने लगा है। सरकार ने हाल ही में टैक्स दरों को घटाने का फैसला किया था, जो आधिकारिक रूप से 22 सितंबर से लागू होगा। लेकिन कंपनियां और दुकानदार अभी से कम कीमत पर सामान बेच रहे हैं ताकि ग्राहकों को पहले ही राहत मिले। आइसक्रीम, शैंपू(Shampoo), साबुन और टूथपेस्ट जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम घटकर दुकानों तक पहुंच रहे हैं

बड़ी कंपनियों ने घटाए दाम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण(Nirmala Sitharaman) ने घोषणा की थी कि 12% टैक्स वाले लगभग सभी सामान अब 5% टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। वहीं कई प्रोडक्ट जिन पर 18% जीएसटी(GST) लगता था, उन पर अब सिर्फ 5% टैक्स लगेगा। इसमें मक्खन, पनीर, मिठाई, नमकीन, बिस्कुट, आइसक्रीम, साबुन और टूथपेस्ट जैसे सामान शामिल हैं।

प्रोक्टर एंड गैम्बल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, लॉरियल, आईटीसी और ब्रिटानिया जैसी कंपनियों ने नए दामों की लिस्ट जारी कर दी है। P&G ने हेड एंड शोल्डर्स, पैंटीन शैंपू, पैम्पर्स डायपर और जिलेट शेविंग क्रीम तक सस्ते कर दिए हैं। वहीं HUL ने डोव, क्लिनिक शैंपू, ब्रू कॉफी और लाइफबॉय साबुन के दाम कम कर दिए हैं।

दुकानों और ई-कॉमर्स पर असर

दिल्ली-NCR के डिस्ट्रीब्यूटरों के अनुसार कम कीमत वाले पैक दुकानों तक पहुंच चुके हैं। खासकर बड़े पैक वीकेंड से ही ग्राहकों के लिए उपलब्ध हो रहे हैं। बास्किन रॉबिन्स ने अपने आउटलेट्स पर डिजिटल स्क्रीन और नई प्राइस लिस्ट लगा दी है, जिससे ग्राहक आसानी से नए दाम जान सकते हैं।

दूसरी ओर ई-कॉमर्स कंपनियां भी पीछे नहीं हैं। स्विगी इंस्टामार्ट ने शनिवार से ही ‘जीएसटी बचत’ ऑफर शुरू कर दिया है। वहीं अमेजन नाउ रोजमर्रा के सामान पर कैशबैक और सालाना बचत कैंपेन चला रहा है। इससे ऑनलाइन ग्राहकों को भी कम दाम का लाभ मिल रहा है।

किन सामानों पर ग्राहकों को सबसे ज्यादा फायदा होगा?

सरकार के फैसले से मक्खन, पनीर, मिठाई, बिस्कुट, आइसक्रीम, शैंपू, साबुन और टूथपेस्ट जैसे रोजमर्रा के सामान पर टैक्स घटकर 5% हो गया है। इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा और रोजाना इस्तेमाल के प्रोडक्ट सस्ते मिलेंगे।

क्या कंपनियों को टैक्स कटौती से नुकसान होगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि शुरुआत में कंपनियां टैक्स में होने वाले नुकसान को खुद झेल रही हैं। लेकिन लंबी अवधि में बढ़ती बिक्री और ग्राहकों की संख्या से यह नुकसान संतुलित हो जाएगा। साथ ही मार्केट में प्रतिस्पर्धा भी कंपनियों को मजबूती देगी।

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