एयर इंडिया एक्सप्रेस में बढ़ी बेचैनी
नई दिल्ली: नई दिल्ली में सामने आए एविएशन घटनाक्रम ने भारत(India) के विमानन क्षेत्र में नई हलचल पैदा कर दी है। इंडिगो(IndiGo) पर आए परिचालन संकट के बीच टाटा समूह ने मौके को भुनाने की तैयारी शुरू कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक एयर इंडिया ग्रुप ने एयरबस ए320 के अनुभवी कैप्टनों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया है। इस कदम से एयर इंडिया एक्सप्रेस के भीतर कार्यरत पायलटों में असुरक्षा की भावना गहराने लगी है।
इंडिगो(IndiGo) की मुश्किलों के बीच टाटा समूह(Tata Group) की यह पहल रणनीतिक मानी जा रही है। एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलटों को आशंका है कि बाहर से नए कैप्टन आने पर उनके उड़ान घंटे और घट सकते हैं। इससे न केवल उनकी आय प्रभावित होगी, बल्कि करियर ग्रोथ पर भी असर पड़ सकता है।
भर्ती फैसले से पायलटों में नाराज़गी
एयर इंडिया एक्सप्रेस के करीब 100 पायलटों ने प्रबंधन को पत्र लिखकर इस भर्ती प्रक्रिया का विरोध किया है। उनका कहना है कि पहले से मौजूद पायलटों को पर्याप्त उड़ान अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में नई भर्तियों से स्थिति और बिगड़ सकती है।
एयरलाइन के बेड़े में इस समय कुल 110 विमान हैं, जिनमें अधिकांश बोइंग 737 शामिल हैं। एयरबस ए320 परिवार के विमानों की संख्या सीमित है और अगले साल कुछ विमानों को लीज पर देने वाली कंपनियों को लौटाया भी जाना है। इस कारण निकट भविष्य में उड़ानों की उपलब्धता और कम होने की आशंका जताई जा रही है।
उड़ान घंटों और वेतन पर असर
हालांकि कंपनी भविष्य में नए विमान जोड़ने की योजना बना रही है, लेकिन इसमें समय लगना तय माना जा रहा है। इस देरी के चलते पायलटों को न्यूनतम 40 घंटे की उड़ान तक सीमित रहना पड़ सकता है। इससे पहले भी महामारी के दौर में कई एयरलाइनों ने फिक्स्ड-आवर कॉन्ट्रैक्ट घटा दिए थे।
वहीं हाल के महीनों में इंडिगो(IndiGo) ने भी जूनियर फर्स्ट ऑफिसर्स के लिए तय उड़ान घंटों में कटौती की है। फिक्स्ड-आवर मॉडल का उद्देश्य आय की स्थिरता देना होता है, लेकिन जब न्यूनतम घंटे घटते हैं तो कुल वेतन पर सीधा असर पड़ता है। यही बात एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलटों की चिंता बढ़ा रही है।
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अंदरूनी असंतोष और सवाल
एयर इंडिया एक्सप्रेस में लगभग 1,600 पायलट कार्यरत हैं, जिनमें ए320 पायलट सबसे अधिक असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। उनका तर्क है कि पिछले एक साल से उन्हें बताया जा रहा था कि ग्रुप में ए320 कैप्टनों की संख्या पहले ही अधिक है।
पायलटों का सवाल है कि जब मौजूदा संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है, तो बाहरी भर्तियों की आवश्यकता क्यों पड़ी। उनका मानना है कि इस नीति से कार्यबल में असंतुलन बढ़ेगा और कर्मचारियों का मनोबल कमजोर होगा।
नई भर्ती से पायलटों को सबसे बड़ा डर क्या है
उन्हें आशंका है कि उड़ान घंटे घटने से उनकी मासिक आय कम हो जाएगी। साथ ही अनुभव और प्रमोशन के अवसर भी सीमित हो सकते हैं।
टाटा समूह इस समय यह कदम क्यों उठा रहा है
इंडिगो की परिचालन दिक्कतों के बीच बाजार में अनुभवी पायलट उपलब्ध हैं। टाटा समूह इस अवसर का उपयोग अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कर रहा है।
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