19 नवंबर को जारी होगी 21वीं किस्त
नई दिल्ली: देशभर के 10 करोड़ से अधिक छोटे और सीमांत किसानों के लिए अच्छी खबर है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) की 21वीं किस्त 19 नवंबर को जारी की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस किस्त को जारी करेंगे, जिसके तहत प्रत्येक पात्र किसान(Farmer) के बैंक खाते(Bank Account) में ₹2,000 की राशि सीधे जमा की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य किसानों को प्रति वर्ष ₹6,000 की आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जिसे तीन समान किस्तों में दिया जाता है।
कुछ राज्यों में पहले ही मिल चुकी है अग्रिम राहत
भले ही अधिकांश राज्यों के लिए 21वीं किस्त नवंबर में जारी हो रही है, लेकिन कुछ राज्यों के किसानों को यह राशि अग्रिम राहत के रूप में पहले ही मिल चुकी है। 26 सितंबर 2025 को पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के किसानों को यह किस्त दी गई थी, क्योंकि इन राज्यों को बाढ़ और भूस्खलन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए विशेष मदद की आवश्यकता थी। इसके अलावा, 7 अक्टूबर 2025 को जम्मू-कश्मीर के किसानों को भी यह किस्त मिल चुकी है। योजना के तहत किस्तें जारी करने का सामान्य चक्र इस प्रकार है: पहली किस्त (अप्रैल-जुलाई), दूसरी किस्त (अगस्त-नवंबर), और तीसरी किस्त (दिसंबर-मार्च)।
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PM-KISAN योजना की शुरुआत और लाभार्थी संख्या
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत फरवरी 2019 में हुई थी। यह योजना पात्र किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से आर्थिक मदद पहुंचाती है। 21वीं किस्त से पहले, 2 अगस्त को 20वीं किस्त जारी की गई थी, जिसमें 9.7 करोड़ किसानों के खातों में ₹20.84 करोड़ की राशि हस्तांतरित की गई थी। वर्तमान में, 10 करोड़ से अधिक किसान इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ उठा रहे हैं, जो उनकी आय को समर्थन देने में मदद करती है।
PM-KISAN योजना के तहत किसानों को साल में कुल कितनी आर्थिक सहायता और कितनी किस्तों में दी जाती है?
PM-KISAN योजना के तहत किसानों को साल में कुल ₹6,000 की आर्थिक सहायता दी जाती है, जिसे ₹2,000 की तीन समान किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता है।
किन राज्यों को 21वीं किस्त नवंबर से पहले अग्रिम रूप में दी गई थी और इसका कारण क्या था?
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश (26 सितंबर 2025 को) और जम्मू-कश्मीर (7 अक्टूबर 2025 को) के किसानों को यह किस्त नवंबर से पहले दी गई थी। इसका कारण इन राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए अग्रिम राहत प्रदान करना था।
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