8.80 लाख किलो के पार भंडार, ₹8.4 लाख करोड़ हुई वैल्यू
नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का सोने का भंडार वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) में 880.18 मीट्रिक टन (8,80,180 किलोग्राम) को पार कर गया है। यह आंकड़ा पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में 879.58 मीट्रिक टन था। इस अवधि में, RBI ने अपने भंडार में 0.6 मीट्रिक टन (600 किलोग्राम) सोना जोड़ा, जिसमें सितंबर में 200 किलो और जून में 400 किलो की खरीद शामिल है। 26 सितंबर तक, RBI के इस विशाल गोल्ड रिजर्व का कुल मूल्य लगभग 95 बिलियन डॉलर (लगभग ₹8.4 लाख करोड़) था। यह खरीद वैश्विक और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं(Geopolitical uncertainties) के बीच की गई है, जिसके कारण दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने को एक सुरक्षित संपत्ति (Safe Asset) के रूप में खरीदने की मांग तेज़ी से बढ़ी है।
वैश्विक अनिश्चितताओं से सोने की मांग और कीमत में वृद्धि
RBI के बुलेटिन के अनुसार, वैश्विक और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं ने सोने की मांग को तेज़ी से बढ़ाया है। इन अनिश्चितताओं के चलते, दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों और निवेशकों ने सोने को एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में बड़े पैमाने पर खरीदना शुरू कर दिया है। इस दौरान, दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने अपने आधिकारिक भंडार में कुल 166 टन सोना जोड़ा, जिससे इसकी वैश्विक मांग और भी बढ़ गई। मांग में इस वृद्धि के कारण सोने की कीमतें वैश्विक और घरेलू दोनों बाजारों में बढ़ीं, और सितंबर में यह अपने अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं। सोने का भंडार बढ़ाना किसी देश की आर्थिक स्थिरता और क्रय शक्ति को मजबूत करता है, जैसा कि 1991 के वित्तीय संकट के दौरान भारत ने सोने को गिरवी रखकर स्थिति संभाली थी।
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RBI के लिए गोल्ड रिजर्व का रणनीतिक महत्व
RBI के लिए सोने की खरीद कई रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा करती है। पहला, यह आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है, खासकर आर्थिक अनिश्चितता या मुद्रा के अवमूल्यन (Devaluation) के समय। दूसरा, यह विदेशी मुद्रा भंडार को विविध (Diversify) करता है, जिससे डॉलर या अन्य प्रमुख मुद्राओं पर निर्भरता कम होती है। सोना मुद्रास्फीति (Inflation) के खिलाफ एक प्रभावी ‘हेज’ (सुरक्षा) के रूप में भी कार्य करता है, क्योंकि इसकी कीमत समय के साथ अपना मूल्य बनाए रखती है। एक बड़ा सोने का भंडार देश की वैश्विक विश्वसनीयता को बढ़ाता है, जो वैश्विक वित्तीय संकटों के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2025-26 के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) में कुल कितना सोना अपने भंडार में जोड़ा, और सितंबर 2025 तक उसके कुल गोल्ड रिजर्व का मूल्य कितना है?
RBI ने 2025-26 के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) में अपने भंडार में कुल 0.6 मीट्रिक टन (600 किलोग्राम) सोना जोड़ा। सितंबर 2025 तक, उसके कुल गोल्ड रिजर्व का मूल्य लगभग 95 बिलियन डॉलर (लगभग ₹8.4 लाख करोड़) है।
केंद्रीय बैंक आर्थिक अनिश्चितता के दौरान सोने की खरीद क्यों बढ़ाते हैं, और इसका उनकी अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?
केंद्रीय बैंक आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितता के दौरान सोने को एक सुरक्षित संपत्ति (Safe Asset) के रूप में खरीदते हैं, क्योंकि यह आर्थिक अस्थिरता या मुद्रास्फीति के समय में भी मूल्य बनाए रखता है। सोने का भंडार बढ़ाने से उनकी आर्थिक विश्वसनीयता बढ़ती है, विदेशी मुद्रा भंडार में विविधता आती है, और देश की क्रय शक्ति व आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
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