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Trump की टैरिफ नीति: चीन-कनाडा की जवाबी कार्रवाई बेअसर

Vinay
Vinay
Trump की टैरिफ नीति: चीन-कनाडा की जवाबी कार्रवाई बेअसर

वाशिंगटन, 17 जुलाई 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ रणनीति ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी है, लेकिन यह राजस्व संग्रह के मामले में बेहद कारगर साबित हुई है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2025 की दूसरी तिमाही में कस्टम ड्यूटी से 64 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड राजस्व प्राप्त हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 47 बिलियन डॉलर अधिक है।

यह पहली बार है जब किसी वित्तीय वर्ष में कस्टम ड्यूटी संग्रह 100 अरब डॉलर के पार पहुंचा है। जून 2025 में यह आंकड़ा 27.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में चार गुना अधिक है।

ट्रंप ने अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत कई देशों पर भारी टैरिफ लगाए, जिसमें आयात पर न्यूनतम 10% शुल्क, स्टील और एल्युमीनियम पर 50% और ऑटोमोबाइल पर 25% टैरिफ शामिल हैं। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों ने इन टैरिफ्स के खिलाफ बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई करने में असफलता दिखाई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप, जिन्हें पहले हमेशा पीछे हटने का ताना मारा जाता था, अब इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। इस नीति से अमेरिका को न्यूनतम प्रतिरोध के साथ लगभग 50 अरब डॉलर का अतिरिक्त कस्टम राजस्व प्राप्त हुआ है।

पिछले चार महीनों में केवल चीन और कनाडा ने ही ट्रंप के टैरिफ्स के खिलाफ महत्वपूर्ण जवाबी कदम उठाए हैं। चीन ने अमेरिकी सामानों पर जवाबी टैरिफ लगाए, लेकिन इसका वित्तीय प्रभाव सीमित रहा। मई 2025 में चीन का टैरिफ राजस्व पिछले वर्ष की तुलना में केवल 1.9% अधिक था।

कनाडा ने भी जवाबी टैरिफ लगाए, लेकिन दूसरी तिमाही के आंकड़े अभी तक जारी नहीं किए गए हैं। अन्य देशों ने ट्रंप की नीति के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने से परहेज किया, जिससे अमेरिका को आर्थिक लाभ मिला।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की रणनीति ने वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ाई है, लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है। हालांकि, कुछ अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक चलने वाली व्यापार युद्ध से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है और अमेरिकी उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप ने दावा किया है कि उनकी नीति से अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार घाटा कम होगा।

इस बीच, वैश्विक नेताओं ने ट्रंप की टैरिफ नीति की आलोचना की है, लेकिन जवाबी कार्रवाई की कमी ने उनकी स्थिति को और मजबूत किया है। कनाडा और चीन के अलावा, यूरोपीय संघ और मैक्सिको जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदारों ने भी बातचीत को प्राथमिकता दी है। ट्रंप ने 200 नए व्यापार समझौतों का वादा किया था, लेकिन अब तक केवल तीन देशों (ब्रिटेन, चीन और वियतनाम) के साथ प्रारंभिक समझौते हुए हैं। यह स्थिति वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ा रही है, और भविष्य में इसके परिणाम और गहरे हो सकते हैं।

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अमेरिका की टैरिफ नीति क्या है?

टैरिफ अन्य देशों से खरीदे गए माल पर लगाए जाने वाले कर हैं। आमतौर पर, वे किसी उत्पाद के मूल्य का एक प्रतिशत होते हैं। 10% टैरिफ का मतलब है कि 10 डॉलर के उत्पाद पर 1 डॉलर का कर लगेगा – जिससे कुल लागत 11 डॉलर (£8.35) हो जाएगी। जो कंपनियां अमेरिका में विदेशी सामान लाती हैं उन्हें सरकार को कर का भुगतान करना पड़ता है

अमेरिका ने भारत पर कितना टैरिफ लगाया है?

भारत पर लगाया था 26 परसेंट का टैरिफ लगाया है. TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पर 26 परसेंट से कम टैरिफ लगाए जाने की उम्मीद है. बता दें कि अप्रैल में भारत पर अमेरिका ने 26 परसेंट रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जो भारत के अमेरिका पर लगाए जाने वाले 52 परसेंट टैरिफ का आधा है.

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