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Movie: भारत की पहली पैन इंडिया फिल्म- साउथ सिनेमा की ऐतिहासिक पहल

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Movie: भारत की पहली पैन इंडिया फिल्म- साउथ सिनेमा की ऐतिहासिक पहल

बाहुबली,केजीएफ,पुष्पा जैसी फिल्मों ने हाल के वर्षों में पैन इंडिया फिल्म को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। हालांकि,यह चलन दशकों पहले ही शुरू हो चुका था।मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल की अपकमिंग फिल्म L2: एम्पुरान के पहले दिन 50 करोड़ से ज्यादा की ओपनिंग का अनुमान लगाया जा रहा है।

हाल ही में रिलीज हुई पुष्पा 2 ने पहले ही दिन 164.25 करोड़ का जबरदस्त कलेक्शन किया था। वहीं, बाहुबली,केजीएफ,आरआरआर और अन्य साउथ फिल्मों ने भी पूरे भारत में शानदार प्रदर्शन किया।बीते एक दशक में साउथ की फिल्मों ने हिंदी बेल्ट में बड़ी सफलता हासिल की है,जबकि बॉलीवुड की फिल्मों को साउथ में वह स्तर हासिल करने में कठिनाई हुई है। दिलचस्प बात यह है कि पैन इंडिया फिल्म बनाने की परंपरा भी दक्षिण भारत से ही शुरू हुई थी।

अब सवाल यह उठता है कि भारत की पहली पैन इंडिया फिल्म कौन-सी थी और किस इंडस्ट्री से आई थी? इसका जवाब बॉलीवुड नहीं है!आइए जानते हैं उस ऐतिहासिक फिल्म के बारे में,जिसने दशकों पहले पैन इंडिया का सफर शुरू किया था।

पहली पैन इंडिया फिल्म

भारत की प्रथम पैन इंडिया फिल्म: 1948 में रचा गया इतिहास

आजादी के एक साल बाद ही भारत को अपनी पहली पैन इंडिया फिल्म मिल गई थी। साल 1948 में रिलीज हुई ‘चंद्रलेखा’इस ऐतिहासिक उपलब्धि की गवाह बनी। यह फिल्म तमिल भाषा में बनाई गई थी और बाद में कई अन्य भाषाओं में डब कर रिलीज की गई। न केवल यह फिल्म सुपरहिट रही,बल्कि इसने सफलता के नए कीर्तिमान भी स्थापित किए।

इसकी शुरुआत 1943 में हुई जब राजश्री प्रोडक्शन के संस्थापक ताराचंद बड़जात्या एक फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने की योजना बना रहे थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात तमिल फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज फिल्ममेकर एस.एस. वासन से हुई, जो उस समय एक भव्य पीरियड ड्रामा ‘चंद्रलेखा’ पर काम कर रहे थे। वासन की यह फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई और इसे देश की पहली पैन इंडिया फिल्म कहा जाता है।

भारत की प्रथम पैन इंडिया सुपरहिट-‘चंद्रलेखा’

राजश्री प्रोडक्शन के संस्थापक ताराचंद बड़जात्या, अपने प्रोडक्शन हाउस की स्थापना से पहले,एक फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में काम कर रहे थे। अपने बिजनेस को बढ़ाने के प्रयास में,साल 1943 में उनकी मुलाकात तमिल सिनेमा के प्रसिद्ध फिल्ममेकर एस.एस वासन से हुई।

वासन उस समय एक भव्य पीरियड ड्रामा ‘चंद्रलेखा’बना रहे थे।सूरज बड़जात्या ने एक इंटरव्यू में बताया कि ‘चंद्रलेखा’उस दौर की ‘बाहुबली’ या ‘पुष्पा’ जैसी बड़ी फिल्म थी। 30 लाख रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1.55 करोड़ रुपये की शानदार कमाई की थी। यह फिल्म अपनी भव्यता, शानदार सिनेमेटोग्राफी और अखिल भारतीय अपील के कारण भारतीय सिनेमा की पहली पैन इंडिया ब्लॉकबस्टर बनी।

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