इस बार रक्षाबंधन (Rakshabandhan) सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि ग्रह-नक्षत्रों के अद्भुत संयोग और धार्मिक मान्यताओं की सुंदर छाया में मनाया जाएगा। बिना भद्राकाल के बंधन के बहनें पूरे दिन भाइयों को राखी बांधकर रिश्तों की डोर को और मजबूत कर सकेंगी। 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर भद्राकाल नहीं रहेगा। इससे दिनभर रक्षा सूत्र बांधने का शुभ अवसर मिलेगा। पंडित अशोक व्यास के अनुसार सुबह 6.18 से दोपहर 1.24 बजे तक राखी बांधने का सबसे शुभ समय रहेगा, जब सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा होगा।
दुर्लभ संयोग बनाएंगे पर्व को विशेष
इस रक्षाबंधन पर ग्रह-नक्षत्रों (Planetary constellations) की स्थिति पर्व को और भी शुभ बना रही है। पूर्णिमा तिथि शनिवार को पड़ेगी और श्रवण नक्षत्र रहेगा। इस दिन चंद्रमा मकर राशि (Makar Rashi) में रहेंगे। मकर राशि और शनिवार दोनों के स्वामी शनि देव हैं। श्रवण नक्षत्र के अधिपति भगवान विष्णु हैं। साथ ही सौभाग्य योग भी रहेगा, जो ब्रह्माजी के अधीन है। इस प्रकार यह रक्षाबंधन ब्रह्मा और विष्णु की साक्षी में मनाया जाएगा, जो इसे अत्यंत पावन बनाता है।
भद्राकाल एक दिन पहले
पंडित व्यास के अनुसार, भद्राकाल 8 अगस्त को दोपहर 2.13 से रात 1.49 बजे तक रहेगा। 9 अगस्त रक्षाबंधन के दिन भद्रा नहीं रहेगी, जिससे समय की कोई बाध्यता नहीं रहेगी। यह उन बहनों के लिए खास राहत का विषय है जो दूर-दराज से भाइयों को राखी बांधने आती हैं। वे दिनभर कभी भी राखी बांध सकती हैं।
रक्षा बंधन के पीछे की असली कहानी क्या है?
हिंदू धर्म में कई अलग-अलग देवता हैं और रक्षाबंधन भगवान कृष्ण की एक कहानी को समर्पित है । कृष्ण का द्रौपदी नाम की एक स्त्री के साथ बहुत गहरा रिश्ता था। कहानी कहती है कि कृष्ण की उंगली में चोट लग गई थी और द्रौपदी ने अपनी पारंपरिक भारतीय पोशाक, साड़ी का एक टुकड़ा काटकर, उनकी उंगली पर पट्टी बाँध दी थी।
विकिपीडिया पर रक्षा बंधन का इतिहास क्या है?
महान परंपरा में महत्वपूर्ण है भविष्य पुराण के उत्तर पर्व का अध्याय 137, जिसमें हिंदू भगवान कृष्ण युधिष्ठिर को हिंदू चंद्र कैलेंडर माह की पूर्णिमा (पूर्णिमा के दिन) पर शाही पुजारी (राजपुरोहित) द्वारा उनकी दाहिनी कलाई पर रक्षा (सुरक्षा) बांधने की रस्म का वर्णन करते हैं।
Read more : MP : सोनम, राज और अन्य आरोपितों की न्यायिक हिरासत 14 दिन बढ़ी