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Breaking News: Navratri: नवरात्रि कलश स्थापना

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Breaking News: Navratri: नवरात्रि कलश स्थापना

शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

नवरात्रि(Navratri) में घटस्थापना यानी कलश स्थापना का बहुत बड़ा महत्व है। यह नौ दिनों(Navratri) के दिव्य अनुष्ठान की शुरुआत का प्रतीक है। इसे ‘शांति कलश’(‘Peace Urn’) भी कहा जाता है, जिसकी स्थापना के बाद ही दुर्गा पूजा का आरंभ माना जाता है। इस कलश में सातों समुद्रों, नदियों, देवी-देवताओं और दिक्पालों का आह्वान किया जाता है। माना जाता है कि इसमें समस्त शुभ तत्वों को संभाले हुए भगवान गणेश विराजमान होते हैं, जो अनुष्ठान को निर्विघ्न संपन्न होने का आशीर्वाद देते हैं। इसी कारण कलश को विघ्नहर्ता गणेश(Ganesha, the remover of obstacles) का ही एक स्वरूप माना गया है

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि(Navratri) की शुरुआत आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को होती है। इस बार 22 सितंबर, सोमवार को यह तिथि सूर्योदय से ही प्रारंभ हो रही है। इस दिन सुबह 11:24 बजे तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का शुभ संयोग भी बन रहा है। हालांकि, सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक राहुकाल रहेगा, जिसे शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। इसलिए राहुकाल का त्याग करके ही कलश स्थापना करनी चाहिए। गृहस्थ लोगों के लिए सुबह 7:30 बजे से पहले या 9:00 बजे के बाद का समय उत्तम है। अगर आप पूजा पंडाल में घटस्थापना कर रहे हैं, तो अभिजीत मुहूर्त में करना सबसे शुभ रहेगा।

यहाँ कुछ प्रमुख शहरों के अनुसार शुभ मुहूर्त दिए गए हैं:

दिल्ली: सुबह 06:13 से 07:29 तक। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 11:49 से 12:38 तक।

मुंबई: सुबह 06:31 से 07:20 तक। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 12:07 से 12:55 तक।

कोलकाता: सुबह 05:28 से 07:16 तक। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 11:05 से 11:53 तक।

चेन्नई: सुबह 06:01 से 07:22 तक। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 11:37 से 12:26 तक।

जयपुर: सुबह 06:19 से 07:10 तक। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 11:55 से 12:44 तक।

हैदराबाद: सुबह 06:05 से 07:52 तक। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 11:44 से 12:33 तक।

घटस्थापना की संपूर्ण विधि

स्वच्छता और आसन: नवरात्रि(Navratri) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद पूजा स्थल पर लाल रंग का आसन बिछाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

पवित्रिकरण: हाथ में कुश और जल लेकर पूजा स्थल और सामग्री पर छिड़कें। इस दौरान ‘ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥’ मंत्र का जप करें।

कलश की स्थापना: एक मिट्टी के पात्र में सप्तमृतिका (सात प्रकार की मिट्टी) और बालू मिलाकर गोलाकार फैलाएं। इसके बीच में कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उसे पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।

जौ और जल: मिट्टी में जौ मिलाएं। इसके बाद कलश में जल भरें, जिसमें सर्वोषधि, पंच पल्लव, सुपारी, सिक्का और सात प्रकार की मिट्टी डालें।

वस्त्र और नारियल: कलश पर पीले या लाल रंग का वस्त्र लपेटें। फिर उस पर चावल (अक्षत) रखें। अंत में, एक नारियल को वस्त्र में लपेटकर कलश के मुख पर स्थापित करें।

दीप प्रज्वलन: आखिर में घी का दीपक जलाकर पूरे परिवार के साथ मिलकर मां दुर्गा का विधिवत पूजन शुरू करें।

घटस्थापना के लिए सबसे शुभ समय कौन सा होता है?

शास्त्रों के अनुसार, घटस्थापना का सबसे उत्तम समय सूर्योदय के बाद के पहले एक-चौथाई समय के भीतर होता है। अगर यह संभव न हो तो अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना करना भी बहुत शुभ माना जाता है। राहुकाल और अन्य अशुभ समय से बचना चाहिए।

कलश स्थापना में नारियल का क्या महत्व है?

कलश पर रखा नारियल पूर्णता का प्रतीक है। इसे देवी दुर्गा का ही रूप माना जाता है। नारियल पर लपेटा गया लाल वस्त्र, शक्ति और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यह अनुष्ठान को पूर्ण और सफल बनाने के लिए देवी का आशीर्वाद सुनिश्चित करता है।

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