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Vaman Dwadashi: वामन द्वादशी 2025 का महत्व और पूजा विधि

Dhanarekha
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Vaman Dwadashi: वामन द्वादशी 2025 का महत्व और पूजा विधि

भाद्रपद द्वादशी को आज मनाई जाएगी वामन जयंती

वामन द्वादशी(Vaman Dwadashi) भगवान विष्णु(Vishnu) के वामन अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आता है और इस बार वर्ष 2025 में विशेष उत्साह से मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने माता अदिति(Aditi) और ऋषि कश्यप के पुत्र के रूप में अवतार लिया था। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, वामन देव की पूजा करते हैं और कथा सुनकर प्रसाद ग्रहण करते हैं

पूजा विधि और धार्मिक महत्व

वामन द्वादशी(Vaman Dwadashi) के दिन प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। भगवान विष्णु के वामन रूप की प्रतिमा की षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है। शाम को व्रत कथा का पाठ या श्रवण किया जाता है और इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर उपवास तोड़ते हैं। इस दिन दान का विशेष महत्व है, विशेषकर चावल, दही और मिश्री दान करने से शुभ फल प्राप्त होता है।

कथाओं के अनुसार वामन अवतार केवल देवताओं की रक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि अधर्म पर धर्म की जीत के प्रतीक रूप में भी माना जाता है। इस दिन का पालन करने से व्यक्ति को समृद्धि, सुख और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

व्रत कथा और राजा बलि की परीक्षा

प्राचीन काल में दैत्यराज बलि ने देवताओं को परास्त कर स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया था। उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन रूप में जन्म लिया। जब बलि अश्वमेध यज्ञ कर रहा था, तब वामन देव उसके पास पहुंचे और भिक्षा स्वरूप केवल तीन पग भूमि मांगी। बलि ने सहर्ष यह वचन दे दिया।

वामन देव ने विशाल रूप धारण कर पहले पग से धरती और दूसरे पग से स्वर्ग लोक नाप लिया। तीसरे पग के लिए जब स्थान नहीं बचा, तब बलि ने अपना शीश अर्पित कर दिया। विष्णु भगवान ने उसकी उदारता का सम्मान कर उसे पाताल लोक प्रदान किया और यह वरदान दिया कि वह वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आएगा। यही परंपरा आज भी केरल(Kerala) में ओणम तथा अन्य राज्यों में बलि प्रतिपदा के रूप में मनाई जाती है।

वामन द्वादशी 2025 तिथि व मुहूर्त

इस वर्ष, वामन द्वादशी का पावन पर्व 4 सितंबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन द्वादशी तिथि का आरंभ 4 सितंबर 2025 को सुबह 04:21 बजे होगा और यह अगले दिन, यानी 5 सितंबर 2025 को सुबह 04:08 बजे समाप्त होगी। इसके अलावा, श्रवण नक्षत्र का आरंभ 4 सितंबर 2025 को रात 11:44 बजे होगा और इसका समापन 5 सितंबर 2025 को रात 11:38 बजे होगा।

वामन द्वादशी के दिन कौन-सा दान करना शुभ माना जाता है?

इस दिन चावल, दही और मिश्री का दान विशेष रूप से शुभ माना गया है। धार्मिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है और माना जाता है कि यह दान करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।

वामन अवतार की कथा हमें क्या संदेश देती है?

यह कथा सिखाती है कि अहंकार चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, अंततः विनम्रता और धर्म की विजय ही होती है। राजा बलि की भक्ति और उदारता से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्हें पाताल लोक का शासक बनाकर वरदान दिया।

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