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International: काबुल तक जिनपिंग के ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ CPEC का विस्तार

Vinay
Vinay
International: काबुल तक जिनपिंग के ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ CPEC का विस्तार

20 अगस्त 2025 को काबुल में छठे त्रिपक्षीय विदेश मंत्रियों के संवाद में पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को अफगानिस्तान तक विस्तार देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। यह बैठक क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक सहयोग और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की गई थी।

बैठक में पाकिस्तान (Pakistan) के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, चीन के विदेश मंत्री वांग यी, और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी शामिल थे। यह वांग यी का तालिबान शासन के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान का पहला दौरा था

CPEC का विस्तार

CPEC, जो चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा है, 2015 में शुरू हुआ एक 62 अरब डॉलर का प्रोजेक्ट है। यह चीन के शिंजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है, जिसमें सड़कें, रेलवे, और ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं। अब इसे अफगानिस्तान तक विस्तार देने की योजना है, जिसमें पेशावर-काबुल मोटर-वे और वाखान कॉरिडोर के जरिए उत्तरी अफगानिस्तान को चीन से जोड़ने की बात शामिल है।

उद्देश्य:

इस विस्तार से अफगानिस्तान को क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी में लाभ होगाcats*web:0⁊, खासकर ग्वादर बंदरगाह तक व्यापारिक पहुंच और अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों (जैसे लिथियम, कोबाल्ट) तक पहुंच शामिल है। यह अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने और तालिबान शासन के लिए निवेश आकर्षित करने का अवसर प्रदान करता है।

अन्य चर्चाएं

तीनों देशों ने आतंकवाद, विशेष रूपकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और ड्रग तस्करी के खिलाफ संयुक्त प्रयासों पर सहमति जताई। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से संचालित आतंकी गतिविधियों पर चिंता जताई, जिसे काबुल ने खारिज किया। चीन ने दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में मध्यस्थता की भूमिका निभाई।

भारत का विरोध:

भारत ने CPEC के विस्तार का कड़ा विरोध किया, क्योंकि यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरती है, जिसे भारत अपना क्षेत्र मानता है। भारत ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया और कहा कि यह क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालता है। भारत ने अफगानिस्तान में अपने 3 अरब डॉलर के निवेश, जैसे चाबहार बंदरगाह, पर इसके प्रभाव की चिंता जताई।

CPEC के अफगानिस्तान विस्तार में सुरक्षा चुनौतियां बड़ी हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अस्थिर सुरक्षा स्थिति और तालिबान के साथ चीन के अनौपचारिक संबंध इस प्रोजेक्ट को जटिल बनाते हैं। इसके बावजूद, चीन इसे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण मानता है।
– इस समझौते से अफगानिस्तान को व्यापार, पारगमन, और बुनियादी ढांचा विकास में लाभ हो सकता है, लेकिन सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता जैसे मुद्दों को हल करना होगा।
– यह दूसरा चरण है, जिसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान चीन यात्रा में शुरू करने की उम्मीद है।

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