एक साल में निवेशकों को मिला तगड़ा लाभ
नई दिल्ली: पिछले एक साल में सोना और चांदी(Gold-Silver) ने निवेशकों को शानदार रिटर्न देकर सभी को चौंका दिया है। घरेलू बाजार में दोनों धातुओं ने करीब 50% का लाभ दिया, जबकि सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 3% की गिरावट दर्ज की गई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सोना रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में कीमती धातुओं का यह उछाल कुछ और महीनों तक जारी रह सकता है।
सोने-चांदी की कीमतों का नया रेकॉर्ड
बुधवार को स्थानीय बाजार में सोने(Gold-Silver) की कीमत 1,000 रुपये चढ़कर 1,07,070 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए शिखर पर पहुंच गई। वहीं, चांदी 1,26,100 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रही, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी स्पॉट गोल्ड 3,547.09 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया, जो ऐतिहासिक उच्चतम भाव है।
फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में नरमी की उम्मीदें, अमेरिका(USA) और अन्य देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव तथा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंताओं ने सोना-चांदी की मांग को और बढ़ाया है। यही कारण है कि निवेशक सुरक्षित विकल्प के रूप में कीमती धातुओं की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं।
शेयर बाजार पर दबाव और भविष्य की संभावना
इसके उलट, विदेशी फंडों की लगातार बिकवाली, रुपये की कमजोरी और भारत(India)-अमेरिका टैरिफ से जुड़े मुद्दों ने घरेलू शेयर बाजार को दबाव में ला दिया। पिछले एक साल में सेंसेक्स और निफ्टी केवल -3% रिटर्न ही दे पाए, जिससे निवेशकों का रुझान शेयरों से हटकर धातुओं की ओर बढ़ा।
मेहता इक्विटीज के विशेषज्ञ राहुल कलंत्री का कहना है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए सोना और चांदी का यह रुझान आगे भी जारी रह सकता है। निवेशकों के लिए यह समय अपने पोर्टफोलियो में सुरक्षित निवेश जोड़ने का अवसर साबित हो सकता है।
सोना-चांदी की कीमतों में तेजी का मुख्य कारण क्या है?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित नरमी प्रमुख कारण हैं। इन कारकों ने निवेशकों को सुरक्षित पनाहगाह के रूप में कीमती धातुओं की ओर मोड़ा है।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट क्यों दर्ज की गई?
विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली, रुपये की कमजोरी और टैरिफ विवाद ने घरेलू शेयर बाजार पर दबाव बनाया। इन कारणों से पिछले एक साल में प्रमुख इंडेक्स लगभग 3% नीचे रहे।
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