तारामती बारादरी में किया गया आयोजन
हैदराबाद। तनुश्री शंकर डांस कंपनी (Dance Company) द्वारा उत्कृष्ट नृत्य बैले की एक शाम, मानसून ड्रीम्स (Monsoon Dreams), का आयोजन चौरंगी द्वारा तारामती बारादरी में किया गया। तनुश्री शंकर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एक महान नृत्यांगना और कोरियोग्राफर हैं और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं। शाम के पहले भाग में उनकी क्लासिक नृत्य रचनाएँ जैसे गणेश वंदना, शिव, सेरेनिटी, कोर्ट डांस, क्लाउड, वृष्य विहार और एमिटी प्रस्तुत की गईं। कई नृत्य रचनाएँ तनुश्री शंकर के दिवंगत पति, महान आधुनिक संगीतकार आनंद शंकर की अनूठी और विशिष्ट धुनों पर आधारित थीं।
एक नए ज़माने का सांस्कृतिक मंच है चौरंगी हैदराबाद में
दूसरे भाग में, ‘चिरंतन’ नामक एक नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर की विशाल कला-संग्रह से कुछ अंश प्रस्तुत किए गए, जो मानवता के स्वयं में, सत्य, प्रेम, शांति और आध्यात्मिकता में विश्वास को सुदृढ़ करते हैं। अमिताभ बच्चन के वर्णन और स्वर-संचालन तथा देबज्योति मिश्रा के मधुर संगीत ने इस भाग में एक विशेष रोमांच भर दिया। चौरंगी हैदराबाद में एक नए ज़माने का सांस्कृतिक मंच है जो भारत की समृद्ध कलात्मक विरासत और विविधता का जश्न मनाता है। समावेशिता और नवीनता पर आधारित, यह हैदराबाद के समझदार दर्शकों के लिए ऐसी कहानियाँ प्रस्तुत करता है जो हमारी साझा मानवीय भावना का जश्न मनाकर लोगों को एकजुट करती हैं।
तनुश्री शंकर का पुरस्कार क्या है?
भारतीय समकालीन नृत्य में योगदान के लिए उन्हें 2011 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पहचान मिली है। उन्होंने भारतीय नृत्य को वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।
तनुश्री शंकर उदय शंकर से कैसे संबंधित है?
प्रसिद्ध नर्तक उदय शंकर की बहू के रूप में तनुश्री शंकर उनके परिवार से जुड़ी हैं। वह उदय शंकर के पुत्र आनंद शंकर की पत्नी हैं। नृत्य के क्षेत्र में उनके योगदान को आगे बढ़ाते हुए तनुश्री ने भी अपनी विशिष्ट शैली विकसित की है, जो पारंपरिक और आधुनिक का मेल है।
तनुश्री शंकर के ससुर कौन है?
भारतीय नृत्य की दुनिया में क्रांति लाने वाले पंडित उदय शंकर उनके ससुर हैं। उन्होंने भारतीय नृत्य को पाश्चात्य प्रभावों के साथ जोड़कर नया आयाम दिया। उनकी विरासत को तनुश्री ने आगे बढ़ाया और उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया। वे कला जगत के स्तंभ माने जाते हैं।
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