Amritsar के बड़े हनुमान मंदिर में क्यों लगता है लंगूर मेला?

बड़ा हनुमान मंदिर अमृतसर

इंडिया में कई मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं के लिए सुप्रसिद्ध हैं। पंजाब के अमृतसर में स्थित बड़ा हनुमान देवस्थान भी उन्हीं में से एक है। यहां हर साल कार्तिक महीने की पहली नवरात्रि से लेकर दस दिनों तक एक अनोखा मेला लगता है, जिसे “लंगूर मेला” कहा जाता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्त अपने बच्चों को लंगूर बनाकर लाते हैं और हनुमान जी के सामने आस्था प्रकट करते हैं।

Advertisements

बड़े हनुमान मंदिर का इतिहास और मान्यता

यह मंदिर अमृतसर के सुप्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर वर्तमान है। मान्यता है कि यह वही जगह है जहां रामायण काल में लव-कुश और भगवान राम की सैन्य के बीच संग्राम हुआ था।

Advertisements
बड़ा हनुमान मंदिर अमृतसर

कहानी के अनुसार, जब हनुमान जी अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को छुड़ाने आए, तो लव-कुश ने उन्हें पकड़कर एक बरगद के पेड़ से बांध दिया था। आज भी वही पवित्र बरगद का पेड़ देवस्थान परिसर में उपस्थित है। मंदिर में हनुमान जी की बैठी हुई मुद्रा में सुंदर मूर्ति स्थापित है, जो उन्हें विश्राम करते हुए दर्शा ती है।

बड़ा हनुमान मंदिर अमृतसर: लंगूर मेले की अनूठी परंपरा

यह संस्कृति सदियों पुरानी है। विश्वास है कि जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की मन्नत मांगते हैं और उनकी कामना पूरी हो जाती है, वे धन्यवाद जाहिर करने के लिए अपने बच्चे को लंगूर के वेश में सजाकर देवस्थान लाते हैं। बच्चे को सिर से पाँव तक नारंगी कपड़े पहनाए जाते हैं और चेहरे पर हल्का श्रृंगार किया जाता है, ताकि वह लंगूर की तरह प्रतीत हो। मेले के दौरान सैकड़ों बच्चे लंगूर बनते हैं और देवस्थान परिसर में आदर के साथ घूमते हैं।

इस संस्कृति में सम्मिलित होने वाले जनता को कुछ नियमों का पालन करना होता है, जिनकी सूचना देवस्थान के पुजारी से प्राप्त की जा सकती है। लंगूर मेला आदर, भक्ति और संस्कृति का एक सुंदर संगम है, जो भक्तों के विश्वास को पक्का करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *